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Budget 2022: वेल्थ मैनेजर अंकित यादव से जानिए इस बार निर्मला सीतारमण के पिटारे में क्या-क्या हो सकता है

कोरोना की तीसरी लहर ने साबित कर दिया है कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए बजट में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए अलग से आवंटन हो सकता है

अपडेटेड Jan 26, 2022 पर 11:15 AM
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अंकित यादव का कहना है कि इस बार बजट में एग्रीकल्चर पर खासा जोर होगा। इसकी वजह देश कुछ राज्यों में हुआ किसान आंदोलन है। इसके अलावा ऑटो, बैंक, एनबीएफसी, फर्टिलाइजर्स और सीमेंट इंडस्ट्री के लिए भी ऐलान हो सकते हैं।

बजट 2022 (Budget 2022) के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। स्टॉक मार्केट, इंडस्ट्री, सैलरीड क्लास, किसान, स्टूडेंट्स, व्यापारी, गृहणी... सबकी अलग-अलग उम्मीदें हैं। इनमें से कितनी उम्मीदें 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पूरी करेंगी, यह तो उसी दिन पता चलेगा। इस बीच मनीकंट्रोल ने मार्केट मैस्ट्रो के डायरेक्टर और वेल्थ मैनेजर अंकित यादव से इस बजट के फोकस वाले क्षेत्रों पर बातचीत की। हमने उनसे यह भी पूछा कि आम आदमी के लिए इस बजट में क्या-क्या हो सकता है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया।

अंकित यादव का कहना है कि इस बार बजट में एग्रीकल्चर पर खासा जोर होगा। इसकी वजह देश कुछ राज्यों में हुआ किसान आंदोलन है। इसके अलावा ऑटो, बैंक, एनबीएफसी, फर्टिलाइजर्स और सीमेंट इंडस्ट्री के लिए भी ऐलान हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "लेकिन, बतौर एक वैल्थ मैनेजर इस बजट में सबसे पहले मैं फिस्कल डेफिसिट पर नजर रखना चाहूंगा।" उन्होंने कहा कि हर साल बजट को लेकर बहुत उम्मीदें होती हैं। लेकिन, इस बार मेरा मानना है कि बजट में इकोनॉमी को फिर से ट्रैक पर लाने पर भी जोर होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ा सकती है। सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) और प्रधानमंत्री वय वदंना योजना (PMVVY) जैसी स्कीमों के लिए आवंटन बढ़ सकता है। जहां तक म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टर्स की बात है तो डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (DLSS) को इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) जैसा दर्जा मिल सकता है। इससे लोगों को सेविंग्स के लिए एक और ऑप्शन मिल जाएगा।


स्टॉक मार्केट्स को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। लेकिन, यादव का मानना है कि इस साल स्टॉक मार्केट पर बजट से ज्यादा असर दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के रुख का पड़ेगा। खासकर अमेरिका में तेजी से बढ़ता इनफ्लेशन चिंता का विषय है। अगर अमेरिकी केंद्रीय बैंक इसे काबू में करने के लिए कदम उठाता है तो इसका निगेटिव असर स्टॉक मार्केट्स पर पड़ना तय है। इन्वेस्टर्स को इंट्रेस्ट रेट्स से जुड़े फैसले पर नजर रखनी होगी।

इधर, कोरोना की तीसरी लहर ने साबित कर दिया है कि यह महमारी अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए बजट में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत बनाने पर भी फोकस रहने की उम्मीद है। पिछले दो बजटों की तरह इस बार भी महामारी से निपटने के उपायों के लिए बजट आवंटन बढ़ सकता है।

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