वितमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट (Budget 2022) में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping policy) का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि बैटरी स्वैपिंग के लिए एक स्पेशल स्कीम आएगी। यह देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) का इस्तेमाल बढ़ाने के लिहाज से बहुत अहम है। बैटरी स्वैपिंग क्या है, इसके क्या फायदे हैं, इससे इलेक्ट्रि व्हीकल्स इंडस्ट्री को कितना बढ़ावा मिलेगा? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
सरकार का फोकस देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल बढ़ाने पर है। इससे एक तरफ डीजल और पेट्रोल की खपत घटेगी तो दूसरी तरफ पॉल्यूशन में कमी आएगी। वित्तमंत्री ने कहा कि अर्बन प्लानिंग के तहत ज्यादा पब्लिक चार्जिंग स्टेशनंस शुरू करने की कोशिश हो रही है। लेकिन, बड़े शहरों में जगह की कमी इसके लिए बाधा बन सकती है। ऐसे में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी से समस्या का समाधान हो सकता है।
बैटरी स्वैपिंग एक प्रोसेस है। इसे इलेक्ट्रिक व्हीकल का मालिक डिसचार्ज हो चुकी बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल सकता है। इसके कई फायदे हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल मालिक को बैटरी के चार्ज होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसे एक उदाहरण से समझ जा सकता है। मान लीजिए आप इलेक्ट्रिक व्हीकल से दिल्ली से शिमला जा रहे हैं। चंडीगढ़ पहुंचने पर आपकी बैटरी डिसचार्ज हो जाती है। अब बैटरी चार्ज होने पर ही आप आगे ट्रैवल कर सकेंगे। बैटरी चार्ज होने में टाइम लगेगा। इससे ट्रैवल का आपका एक्सपीरियंस अच्छा नहीं होगा। अगर आपको अपनी डिसचार्ज बैटरी देकर पूरी तरह से चार्ज बैटरी मिल जाए तो आपकी प्रॉब्लम खत्म हो जाएगा।
बैटरी स्वैपिंग के लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में इस्तेमाल होने वाली बैटरी एक स्टैंडर्ड मानक के तहत बनी हो। ऐसा होने पर ही इलेक्ट्रिक व्हीकल ओनर अपनी बैटरी को दूसरी बैटरी के साथ स्वैप कर सकेगा। बैटरी स्वैपिंग की सुविधा से इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगने वाली बैटरी काफी महंगी होती है। इसलिए बैटरी खराब हो जाने पर नई बैटरी खरीदने पर काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी से कुछ फीस चुकाकर बैटरी का इस्तेमाल करना मुमकिन होगा।
अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली सिर्फ कुछ कंपनियां बैटरी स्वैपिंग का विकल्प ऑफर करती हैं। इनमें हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा मोटर्स, सिंपल एनर्जी और बाउंस इलेक्ट्रिक शामिल हैं। उधर, एथर एनर्जी, ओला इलेक्ट्रिक, टोर्क मोटर्स जैसी कंपनियों के ईवी में नॉन-रिमूवल बैटरी का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब है कि इनके ईवी की बैटरी को स्वैप नहीं किया जा सकता। उन्हें दोबार चार्ज करने पर ही व्हीकल को चलाना जा सकता है। दुपहियों में तो इससे काम चल सकता है, लेकिन कार सहित बड़ी गाड़ियों में इसका इस्तेमाल व्यहवहारिक नहीं है।
सरकार अगर जल्द बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का ऐलान करती है तो इससे ईवी इंडस्ट्री को फायदा होगा। पिछले साल ईवी इंडस्ट्री की ग्रोथ बहुत तेज रही है। पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों ने लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया है। ऑटो कंपनियां भी इलेक्ट्रिक व्हीकल के मॉडल लॉन्च करने पर ज्यादा जोर दे रही हैं। टाटा मोटर्स इसका उदाहरण है।