इस बार बजट (Budget 2022) से आम आदमी को काफी उम्मीदें हैं। इनमें इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 80सी (Section 80c) के तहत टैक्स रिबेट की लिमिट में वृद्धि भी शामिल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। आम आदमी का सबसे ज्यादा वास्ता सेक्शन 80सी से पड़ता है। इसके तहत आने वाले निवेश माध्यमों में किए गए इन्वेस्ट पर टैक्स रिबेट मिलता है।
अभी इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये के इन्वेस्टमेंट पर टैक्स रिबेट मिलता है। वित्त वर्ष 2013-14 तक इस सेक्शन के तहत अधिकतम 1 लाख रुपये तक टैक्स छूट उपलब्ध थी। इसे वित्त वर्ष 2014-15 में बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया था। उसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस बीच लोगों की आमदनी और खर्च में काफी वृद्धि हुई है। इसके चलते टैक्स रिबेट के लिए सालाना 1.5 लाख रुपये की लिमिट पर्याप्त नहीं है।
पिछले कई सालों से सेक्शन 80सी के तहत टैक्स रिबेट का दायरा बढ़ाने की मांग हो रही है। जानकारों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बार बजट में सेक्शन 80सी की लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख रुपये करना चाहिए। इसके अलावा 80सी के दायरे में आने वाले निवेश माध्यमों की सूची को भी तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत है। इससे आम आदमी को काफी फायदा होगा।
अभी सेक्शन 80सी के तहत जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance Premium), पीपीएफ (PPF), एनएससी (NSC), म्यूचुअल फंड की टैक्स स्कीम (ELSS), ट्यूशन फीस (Tuition Fees) सहित कई चीजें आती हैं। इनमें से जीवन बीमा सहित कुछ चीजों को इस सूची से बाहर किया जा सकता है। उनके लिए टैक्स रिबेट की अलग से लिमिट तय की जानी चाहिए। अगर वित्त मंत्री जीवन बीमा को इस सूची से बाहर कर उस पर अलग से टैक्स छूट देने का ऐलान करती हैं तो देश में जीवन बीमा को बढ़ावा मिलेगा।
अभी 80सी के तहत जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, हाउसिंग लोन प्रिंसिपल पेमेंट, घर खरीदने पर चुकाई गई स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज, ईएलएसएस, सुकन्या समृद्धि योजना, दो बच्चों तक ट्यूशन फीस, बैंक टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम आती हैं। इनमें से किसी एक या एक से ज्यादा निवेश माध्यमों में 1.50 लाख रुपये तक के सालाना निवेश या खर्च पर टैक्स रिबेट मिलता है।
इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी की लिमिट को बढ़ाने से आम आदमी के अलावा सरकार को भी फायदा होगा। इससे बचत को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही मुद्रास्फीति बढ़ने का दबाव भी घटेगा। आम आदमी भी अपने वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज्यादा बचत कर सकेगा।