भुवन भास्कर
भुवन भास्कर
भारत में रियल एस्टेट सेक्टर एक सोए हुए दैत्य की तरह है। पिछले करीब एक दशक से यह खर्राटे भर रहा है और इससे जुड़े तमाम पक्ष, चाहे वह बिल्डर हों या खरीदार, सांसें रोक कर खड़े हैं। लोगों की याददाश्त में अब भी इस सदी के पहले दशक में आए रियल एस्टेट बूम की यादें ताजा हैं, जब प्रॉपर्टी की कीमतें रातोंरात बढ़ा करती थीं और साल-दो साल में दाम दोगुना हो जाना आम बात थी। उस दौर के इंतजार में अब भी कई निवेशक वर्षों से फंसे बैठे हैं। रियल एस्टेट इंडस्ट्री तो बढ़ती लागत और बढ़ती इनवेंटरी के बीच झूल ही रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब ये सोया हुआ दैत्य अंगड़ाई लेने लगा है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि धीरे-धीरे रियल एस्टेट इंडस्ट्री में एक बार फिर मांग में तेजी आ रही है और 2022 इस सेक्टर के लिए टर्नअराउंड साल हो सकता है।
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट जिसका शीर्षक ‘रियल एस्टेट आउटलुक 2022’ है, के मुताबिक 2022 में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में अच्छी ग्रोथ के संकेत मिल रहे हैं। एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में जनवरी-सितंबर के बीच 7 शीर्ष भारतीय शहरों दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और पुणे में 1.63 लाख नए आवासीय घर बने जो पूरे साल 2020 के मुकाबले 27% अधिक है। इसी दौरान इन शहरों में 1.45 घर बिके, जो 2020 के पूरे साल की तुलना में 5% अधिक हैं। वहीं वाणिज्यिक श्रेणी में, CBRE रिपोर्ट के मुताबिक 2021 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान ऑफिस लीजिंग गतिविधियों में अप्रैल-जून की तुलना में 140% की वृद्धि हुई और यह 1.35 करोड़ फुट तक पहुंच गई।
विशेषज्ञ जहां आवासीय श्रेणी में स्थितियों में आए सुधार का श्रेय कोविड के दौर में मिली ब्याज दरों की छूट और बड़े घरों की मांग में बढ़ोतरी को दे रहे हैं, वहीं वाणिज्यिक श्रेणी में ऑफिस गतिविधियों में जबर्दस्त बढोतरी का कारण सरकारी नीतियों, कंपनियों की विस्तार योजनाओं और बिजनेस के तौर-तरीकों में नए और उभरते हुए रुझानों को दिया जा रहा है।
एक जानी-मानी रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म ने अनुमान जताया है कि 2025 तक रियल एस्टेट की हिस्सेदारी भारतीय GDP में 13% हो जाएगी और 2030 तक यह पूरा सेक्टर 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। सैविल्स इंडिया के मुताबिक सिर्फ डाटा सेंटर के लिए ही रियल एस्टेट की मांग 2025 तक 1.5 से 1.8 करोड़ वर्ग फुट तक बढ़ जाएगी। वहीं संगठित रिटेल रियल एस्टेट स्टॉक में 2023 तक 28% की वृद्धि होने का अनुमान है जब यह 8.2 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंच जाएगा। आवासीय और वाणिज्यिक श्रेणियों में रियल एस्टेट की इस हलचल ने जमीन, घर, फ्लैट और ऑफिस स्पेस की कीमतों पर वर्षों से लगा रेजिस्टेंस लेवल भी तोड़ा है। पूरी दुनिया के देशों में हाउसिंग मार्केट में तेजी दर्ज करने वाला भारत 10वां देश है।
इन शुरुआती संकेतों को अंतरराषट्रीय निवेशक बखूबी पहचान रहे हैं और इसलिए पिछले कुछ महीनों में भारतीय रियल एस्टेट में पूरी दुनिया से फंडिंग और फाइनेंसिंग आ रही है। इकरा का अनुमान है कि भारतीय कंपनियां 2022 के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्टों के जरिए 48 अरब डॉलर से ज्यादा रकम जुटाएंगी। पिछले साल यह रकम 29 अरब डॉलर थी। भारतीय रियल एस्टेट में लगभग 3.8 लाख करोड़ रुपये निवेश कर चुके प्राइवेट मार्केट इनवेस्टर ब्लैकस्टोन 2030 तक 1.7 लाख करोड़ रुपये का और निवेश करने के अवसरों की तलाश कर रहा है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने मार्च 2016 में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का गठन किया था, जिसके बाद से रियल एस्टेट सेक्टर में उत्तरदायित्व और पारदर्शिता बढ़ी है और इससे घरेलू सहित विदेशी निवेशकों का भरोसा भी इस इंडस्ट्री पर बढ़ा है। वर्ष 2020 में भारतीय रियल एस्टेट में 5 अरब डॉलर का संस्थागत निवेश आया वहीं 2020-21 की चौथी तिमाही में इसमें प्राइवेट इक्विटी 19 सौदे हुए जिनके जरिए लगभग 24,000 करोड़ रुपये का फंड आया।
जनवरी-जून 2021 के दौरान इस सेक्टर में कुल मिलाकर 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम आई जो साल दर साल आधार पर 52% की वृद्धि है। यहां तक कि कोरोना महामारी के जिस दौर में आर्थिक गतिविधियां लगभग पूरी तरह ठप पड़ गई थीं, उस समय भी रियल एस्टेट में विदेशी फंडिंग जारी थी। अप्रैल 2000 से जून 2021 के मध्य इस क्षेत्र में आया कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 51.5 अरब डॉलर था।
इन तमाम आंकड़ों से यही संकेत मिलता है कि भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर का दैत्य लगभग एक दशक की कुंभकर्णी नींद से एक बार फिर जगने को तैयार हो चुका है। इसमें ब्याज दरों में कमी के जारी दौर की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। लेकिन ओमिक्रॉन कोरोना की तीसरी लहर कितनी लंबी चलती है और कितनी मारक होती है, इस पर भी रिवाइवल की दशा और दिशा निर्भर करेगी। हालांकि 2020 के अनुभव को देखते हुए यह मानने का कोई कारण नहीं है कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर इस लहर का कोई दूरगामी असर पड़ेगा।
आम बजट 2022-23 सेक्टर की ग्रोथ की गति तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। इतना तो लगभग तय है कि बजट में रियल एस्टेट के लिए कुछ भी नकारात्मक नहीं होगा, लेकिन ऐसा क्या सकारात्मक आ सकता है, जिससे दौड़ लगाने को तैयार हाउसिंग कंस्ट्रक्शन सेक्टर को और ऊर्जा मिले। यह एक ऐसा सेक्टर है, जिस पर उन घोषणाओं और कदमों का ज्यादा प्रभाव पड़ेगा, जो अन्य सेक्टरों के लिए किए जाएंगे। जैसे, बैंकिंग सेक्टर और वित्तीय घाटे से जुड़े आंकड़े यह तय करेंगे कि आने वाले महीनों में ब्याज दरें निचले स्तर पर ही स्थिर रहेंगी या ऊपर की ओर बढ़ेंगी।
भूमि सुधारों से जुड़ी घोषणाओं से यह तय होगा कि रियल एस्टेट कंपनियों के पास जमीन की उपलब्धता और उसकी लागत पर क्या असर होगा। आयकर से जुड़ी घोषणाएं यह तय करेंगी कि आम आदमी के पास घर के लिए EMI देने के लिए कितनी अतिरिक्त आय बचेगी और कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी तथा मशीनों पर GST बढ़ने या घटने से यह तय होगा कि रियल एस्टेट कंपनियों की लागत पर क्या असर होगा। और कुल मिलाकर इन घोषणाओं से यह तय होगा कि 2022 के लिफाफे में रियल एस्टेट के मजमून की चमक कितनी बढ़ेगी।
कुल मिलाकर यदि 2022 में रियल एस्टेट की किस्मत का एक खाका खींचना हो तो कहा जा सकता है कि 2021 ने एक तेज वृद्धि की भूमिका तैयार कर दी है और अब गेंद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के पाले में है। यदि वित्त मंत्री ने अपने हिस्से की किक सही लगा दी, तो यह सेक्टर गोल पोस्ट नहीं चूकेगा।
(लेखक राजनीतिक और आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
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