बजट 2023-24 : म्यूचुअल फंडों की ELSS को अट्रैक्टिव बनाने के लिए 500 मल्टीपल नियम में बदलाव कर सकती हैं वित्त मंत्री

Budget 2023-24: म्यूचुअल फंड हाउसेज और इनवेस्टर्स ELSS में निवेश के लिए 500 रुपये मल्टीपल के नियम में बदलाव करने की मांग कर रहे हैं। इस नियम में बदलाव से ELSS का अट्रैक्शन इनवेस्टर्स के बीच और बढ़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट 2023 में इसमें बदलाव का ऐलान कर सकती हैं

अपडेटेड Dec 30, 2022 पर 6:17 PM
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ELSS स्कीम की शुरुआत 1992 में हुई थी। तब IT Act 1961 (सेक्शन 88) के तहत इस पर टैक्स-बेनेफिट की शुरुआत की गई थी।

बजट 2023-24 : फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को म्यूचुअल फंड्स की Equity Linked Saving Scheme (ELSS) को अट्रैक्टिव बनाने के लिए यूनियन बजट में कुछ कदम उठाने की जरूरत है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स में ELSS भी शामिल है। टैक्सपेयर्स के बीच यह स्कीम बहुत लोकप्रिय रही है। दरअसल, इस स्कीम में बहुत अच्छे रिटर्न के साथ टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा भी मिलती है। इस स्कीम को अट्रैक्टिव बढ़ाने से इसमें इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ेगी। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट (Union Budget) पेश करेंगी।

अभी क्या है नियम?

ELSS में टैक्सपेयर्स के निवेश में कुछ सुस्ती आई है । वर्ष 2022 में ELSS स्कीमों में निवेश की गई कुल रकम 1.45 लाख करोड़ रुपये है। यह वर्ष 2021 की के 1.61 लाख करोड़ रुपये से 9% कम है । फंड-हाउसेज और निवेशक ELSS से संबंधित कुछ पुराने नियमों को बदलने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं । ELSS के संबंध में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के 3 नवंबर 2005 के नोटिफिकेशन 206/2005 के अनुसार, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम के नियम 3 (a) के तहत म्यूचुअल फंडों के ELSS में निवेश की न्यूनतम रकम 500 रुपये हो सकती है। इससे अधिक निवेश के लिए राशि 500 रुपये के मल्टीपल में ही होना आवश्यक है। ज्यादा निवेश के लिए 500 रुपये के मल्टीप्ल के नियम को बदलने की जरूरत है।

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यह नियम क्यों बनाया गया था?

चूंकि म्यूचुअल फंड की दूसरी स्कीमों में 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश करने की बाध्यता नहीं है। इससे निवेशक अक्सर ELSS में निवेश करने में 500 के मल्टीपल में निवेश के नियम को ध्यान में नहीं रखते हैं। इससे उनका आवेदन रद्द हो जाता है। बड़ी संख्या में निवेशक दूसरे स्कीमों से अपना निवेश ELSS में स्विच भी करते है। पहले की स्कीम में उनके इनवेस्टमेंट की वैल्यू रु 500 के मल्टीपल में अक्सर नहीं होती है, जिससे ELSS में स्विच का उनका आवेदन रद्द हो जाता है।

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ELSS स्कीम की शुरुआत 1992 में हुई थी। तब IT Act 1961 (सेक्शन 88) के तहत इस पर टैक्स-बेनेफिट की शुरुआत की गई थी। उस समय ELSS में निवेश के लिए आवेदन निर्धारित बैंक की शाखाओं के माध्यम से करना पड़ता था। तब कैश में भी इनवेस्टमेंट अमाउंट डिपॉजिट करने की सुविधा थी। कैश की वजह से बैंक रिकॉन्सिलेशन में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसलिए 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश का यह नियम बनाया गया था।

अब इस नियम की जरूरत नहीं

अब डिजिटल या चेक के जरिए निवेश होता है। इससे बैंक रिकॉन्सिलेशन कंप्यूटर की मदद से होता है। इसलिए इस नियम की कोई जरूरत नहीं रह गई है। इसके अलावा ELSS स्कीम में निवेश का ग्रोथ अन्य स्कीमों की तरह उसके NAV में दशमलव के दो स्थानों तक राउन्ड-ऑफ किया जाता है। इसलिए आज ELSS में रु 500 के मल्टीपल में आरंभिक निवेश के बावजूद उसकी मार्केट-वैल्यू या रिडेमपशन-वैल्यू हमेशा विषम (odd amount) ही होती है। इसलिए इस नियम (3) का कोई औचित्य नहीं है। वित्त मंत्री बजट 2023 में इस बारे में नियमों में बदलाव कर सकती हैं।

(पारिजात सिन्हा आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक मामलों के विश्लेषक हैं । वह कई फाइनेंशियल कंपनियों में उच्च पदों पर रह चुके हैं ।)

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