union Budget 2023: शेयर बाजारों पर यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) कैपिटल गेंस के नियमों में लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों के बीच के फर्क को दूर करने ऐलान करती हैं तो इसका असर शेयर बाजार पर पड़ेगा। लेकिन, यह असर सिर्फ थोड़े समय के लिए होगा। Alchemy Capital Management के शेषाद्री सेन ने यह अनुमान जताया है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने यूनियन बजट (Budget 2023) के शेयर बाजार और इकोनॉमी पर पड़ने वाले असर के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद जताई। उनका मानना है कि अभी कैपिटल गेंस टैक्स के नियम बहुत जटिल हैं। इसे आसान बनाने की जरूरत है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी।
कैपिटल गेंस के नियम एकसमान होने चाहिए
सेन ने कहा कि लिस्टेड, अनलिस्टेड और विदेशी एसेट्स से जुड़े कैपिटल गेंस के नियम एकसमान होने चाहिए। अभी ये नियम बहुत जटिल भी हैं। इन्हें आसान बनाने की जरूरत है। हालांकि, इसमें एक रिस्क यह है कि अगर शेयरों पर कैपिटल गेंस टैक्स का इफेक्टिव रेट बढ़ता है तो इसका स्टॉक मार्केट पर निगेटिव असर पड़ेगा। इससे प्राइवेट इनवेस्टमेंट साइकिल पर भी चोट लगेगी। अभी प्राइवेट इनवेस्टमेंट की रफ्तार नहीं बढ़ी है।
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कैपिटल पर खर्च बढ़ाने पर जोर दे रही सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने खर्च की क्वालिटी में सुधार करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार अब कंजम्प्शन और सब्सिडी पर खर्च बढ़ाने की जगह कैपिटल पर खर्च बढ़ा रही है। सरकार को यह कोशिश अगले कुछ सालों तक जारी रखनी होगी। इससे प्रोडक्टविटी में सुधार देखने को मिलेगा। साथ ही इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
मार्केट पर बजट का नहीं पडे़गा ज्यादा असर
शेयर बाजार पर यूनियन बजट के असर के बारे में पूछने पर सेन ने कहा कि पिछले कुछ सालों में स्टॉक मार्केट्स पर बजट में होने वाले ऐलानों का असर घटा है। इसलिए हमें इस बार भी यूनियन बजट 2023 का शेयर बाजार पर ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। शेयर बाजार इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ की संभावनाओं को लेकर उत्साहित है। बाजार की नजरें ग्रोथ, मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के उपायों और डिजिटाइजेशन पर हैं।
घट सकती है बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ
बैंकिंग सेक्टर की संभावनाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल ईयर 2022-23 इस सेक्टर के लिए बहुत अच्छा रहा है। ग्रोथ बढ़ी है। डेट के प्रोविजन में कमी आई है। हमें अगले फाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ में सुस्ती आने का अनुमान है। मार्जिन पर भी थोड़ा दबाव देखने को मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि इंटरेस्ट रेट बढ़ने से बैंकों की डिपॉजिट कॉस्ट बढ़ी है।