बजट 2023: देश भर की जेलों में कई ऐसे गरीब कैदी मौजूद हैं जिनके पास अगर जमानत कराने या जुर्माना भरने भर के पैसे होते, तो वह खुली हवा में सांस ले रहे होते। अब इन पर मोदी सरकार का ध्यान गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज Budget 2023 में ऐलान किया है कि जो भी गरीब लोग जेल में हैं और जुर्माने या जमानत का पैसा देने में असमर्थ हैं, उन्हें सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी। इसका मतलब हुआ कि ऐसे गरीब कैदियों को अब जल्द ही जेल से मुक्ति मिलने वाली है।
सरकार के फैसले से कितने गरीबों को होगा फायदा
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने मंगलवार 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अभी जो आंकड़े मौजूद हैं, उसके मुताबिक जमानत के बावजूद करीब 5000 विचाराधीन कैदी जेलों में हैं। इनमें से 1417 को रिहा कर दिया गया है। हालांकि नालसा का यह भी कहना है कि वह गरीबी के कारण जमानत मिलने के बावजूद पैसों की कमी के चलते जेल से नहीं रिहा होने वाले सभी विचाराधीन कैदियों का मास्टर डेटा बना रही है। इसका मतलब है कि अभी ऐसे कैदियों का कोई लेटेस्ट आधिकारिक डेटा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तैयार हो रहा यह डेटा
पिछले साल 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि वह जेल अधिकारियों को जमानत बॉन्ड भरने में नाकाम विचाराधीन कैदियों (अंडर ट्रायल प्रिजनर्स) की डिटेल्स तैयार करे। कोर्ट ने कैदी का नाम, उस पर आरोप, जमानत मंजूर होने की तिथि, जमानत की कौन सी शर्त नहीं पूरी हुई, जमानत मंजूर होने के बाद से कितने दिन बीते, जमानत के आदेश का दिन; ये सभी डिटेल्स मांगी गई। कोर्ट ने राज्यों से कहा कि जेल अथॉरिटीज ये डेटा 15 दिन के भीतर तैयार करे और फिर इसे राज्यों को एक हफ्ते के भीतर नालसा को भेजने को कहा गया। इस डेटा के आधार पर नालसा को कैदियों के लिए सुझाव मांगे गए और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता उपलब्ध कराने को कहा गया।