Budget 2023: मैं उद्यमी नहीं हूं, व्यापार भी नहीं करता, फिर मुझे यूनियन बजट की फिक्र क्यों करनी चाहिए?

Budget 2023: यूनियन बजट हर उस आदमी के लिए मायने रखता है जो इस देश में रहता है। इसमें, गरीब, अमीर, उद्यमी, व्यापारी, स्टूडेंट्स, किसान…सब शामिल हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जिस पर यूनियन बजट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर नहीं पड़ता है

अपडेटेड Dec 14, 2022 पर 5:25 PM
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आज अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप पर मंडराते मंदी के खतरे के बीच इंडिया एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां अच्छी ग्रोथ दिख रही है। इसलिए वित्त मंत्री पर ऐसे उपाय करने की जिम्मेदारी है, जो इंडिया की ग्रोथ को टिकाऊ बना रख सकें।

Budget 2023: क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं जो यह यह सोचते हैं कि यूनियन बजट (Union Budget) सिर्फ उनके लिए मायने रखता है, जो उद्यमी हैं या व्यापार करते हैं? अगर इस सवाल का जवाब हां हैं तो आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। दरअसल, यूनियन बजट हर उस आदमी के लिए मायने रखता है जो इस देश में रहता है। इसमें, गरीब, अमीर, उद्यमी, व्यापारी, स्टूडेंट्स, किसान…सब शामिल हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जिस पर यूनियन बजट का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर नहीं पड़ता है। उदाहरण के लिए बजट में शिक्षा के लिए आवंटित राशि स्टूडेंट्स के लिए मायने रखती है तो हेल्थ के लिए आवंटन से यह तय होता है कि लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता कैसी होगी। सैलरीड क्लास (Salaried Class) को इनकम टैक्स (Income Tax) में छूट बढ़ाए जाने का इंतजार होता है तो किसान को यह उम्मीद रहती है कि बजट में ऐसे ऐलान होंगे, जिससे उसकी आय बढ़ेगी।

यह निर्मला सीतारमण का पांचवां बजट होगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनिट बजट पेश करेंगी। यह उनका पांचवां बजट होगा, जबकि केंद्र की मोदी सरकार का यह 11वां बजट होगा। इसमें मुख्यतः नए वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा विभिन्न मदों -जैसे सड़क निर्माण, सरकारी अस्पताल, रक्षा सहित अलग-अलग मदों पर कुल अनुमानित खर्चों का विवरण होगा। साथ ही इन खर्चों के लिए जुटाए जाने वाले पैसे का रोडमैप होगा। आम जनता के लिए यह आवश्यक है की वह बजट को तथा उससे जुड़े हुए सभी पहलुओं को समझे । बजट बनाने की प्रक्रिया 6 महीने शुरू हो जाती है।


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मंत्रालयों का बढ़ेगा आवंटन

वित्त मंत्रालय ‘प्री-बजट कंसल्टेशन’ के तहत सभी मंत्रालयों, राज्य सरकारों, राज्य के वित्त मंत्रियों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, लेबर यूनियन, ट्रेड यूनियन आदि समूहों और प्रतिनिधियों की राय जानने की कोशिश करता है। इसके आधार पर वित्त मंत्रालय बजट को आकार देना शुरू करता है । फाइनेंस मिनिस्टर यह तय करता है कि रक्षा कि लिए आवंटन कितना होगा। अभी किस मंत्रालय के आवंटन को कितना बढ़ाने की जरूरत है। विनिवेश यानी सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचकर कितना फंड जुटाया जाना है। ये सभी चीजें तय होने के बाद बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है।

इस बार का बजट क्यों अहम है?

इस बार का बजट कई कारणों से अहम है । महंगाई की दर पिछले तीन क्वार्टर में तय मानक से ऊपर चली गई है। इसे नियंत्रण में लाना है। इकोनॉमिक ग्रोथ को गति देनी है। 5 ट्रिलिऑन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के लिए कदम उठाने हैं। कोविड महामारी से प्रभावित हुई रोजगार की स्थिति में सुधार लाना है। इनमें से किसी एक आयाम पर अधिक झुकाव किसी दूसरे आयाम की स्थिति बिगाड़ सकता है। फाइनेंस मिनिस्टर के सामने इन सबके बीच सामंजस्य बनाने हुए बजट पेश करने की चुनौती है।

आज अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप पर मंडराते मंदी के खतरे के बीच इंडिया एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां अच्छी ग्रोथ दिख रही है। इसलिए वित्त मंत्री पर ऐसे उपाय करने की जिम्मेदारी है, जो इंडिया की ग्रोथ को टिकाऊ बना रख सकें। इसके लिए उन्हें बजट में इंडिया को इनवेस्टमेंट के लिए बेहतर डेस्टिनेशन बनाने वाले उपाय करने की चुनौती होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने के साथ ही पब्लिक इनवेस्टमेंट बढ़ाने पर फोकस करना होगा। इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की जिंदगी आसान होगी।

(पारिजात सिन्हा आर्थिक एवं सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं । वे लेखक एवं मैनेजमेंट तथा लॉ कंसल्टेंट भी हैं)

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