ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जब कंपनियां अपने एंप्लॉयीज की सैलरी से टैक्स तो काटती (टीडीएस) हैं, लेकिन उसे सरकार के पास जमा नहीं करती हैं। हालिया मामला बायजूज का है। इस ऐडटेक कंपनी के एंप्लॉयीज ने शिकायत की थी कि उनकी सैलरी से कंपनी ने टीडीएस काटा है, लेकिन उसे सरकार के पास जमा नहीं किया है। कंपनी की इस गलती का नुकसान टैक्सपेयर्स को उठाना पड़ता है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में यूनियन बजट में 23 जुलाई को एक बड़ा तऐलान किया।
कंपनी अपने एंप्लॉयीज की सैलरी से टीडीएस काटती है
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि एंप्लॉयीज की सैलरी से काटा गया पैसा (TDS) अगर टैक्स स्टेटमेंट फाइलिंग के वक्त तक सरकार के पास जमा नहीं कराया जाता है तो इस देरी को सरकार डीक्रिमनलाइज करेगी। अगर कंपनी के लिए हर तिमाही टीडीएस का स्टेटमेंट फाइल करना जरूरी है तो उसे टीडीएस का पैसा ज्यादा से ज्यादा तिमाही के अंत में सरकार के पास जमा करना पड़ता है।
कंपनी हर महीने टीडीएस का पैसा सरकार के पास जमा करती है
बिलियन बेसकैंप के फाउंडर वैभव सांकला ने कहा, "अभी कंपनी हर महीने एंप्लॉयी की सैलरी से टीडीएस काटती है। वह इसे हर महीने सरकार के पास जमा कराती है। सरकार को भले ही टीडीएस का पैसा हर महीने जमा कराया जाता है लेकिन इसका स्टेटमेंट कपनी को तिमाही आधार पर फाइल करना होता है।" इस स्टेटमेंट में टीडीएस की डिटेल और एंप्लॉयी के PAN की भी जानकारी दी जाती है।
टीडीएस पर कंपनी के डिफॉल्ट करने से एंप्लॉयीज को बहुत नुकसान
वित्तमंत्री ने 23 जुलाई को बजट भाषण में जो प्रस्ताव पेश किया है, उसके हिसाब से सरकार अब टीडीएस का पैसा जमा नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर बनाएगी। कंपनी के टीडीएस पेमेंट पर डिफॉल्ट करने का खामियाजा उसके एंप्लॉयीज को भुगतना पड़ता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त उसे अपनी सैलरी पर ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है, जबकि कंपनी ही सैलरी से टैक्स काट चुकी होती है। इस तरह उसे एक ही इनकम पर दो बार टैक्स चुकाने को मजबूर होना पड़ता है।