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Budget 2024: सरकार भी बेचती है अपनी संपत्ति, पैसे जुटाने के लिए करती है बड़े प्लान

Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को बजट पेश करेंगी। बजट में सरकार देश के इनकम और खर्चों का हिसाब देगी। क्या आपको पता है कि सरकार को भी पैसे जुटाने के लिए कई बार अपनी संपत्ति बेचनी पड़ती है। इसका आधिकारिक भाषा में नाम होता है डिसइनवेस्टमेंट

अपडेटेड Jan 15, 2024 पर 7:00 AM
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Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को बजट पेश करेंगी।

Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को बजट पेश करेंगी। बजट में सरकार देश के इनकम और खर्चों का हिसाब देगी। क्या आपको पता है कि सरकार को भी पैसे जुटाने के लिए कई बार अपनी संपत्ति बेचनी पड़ती है। इसका आधिकारिक भाषा में नाम होता है डिसइनवेस्टमेंट। यहां आपको बता रहे हैं कि सरकार कैसे अपने लिए पैसे जुटाने का काम करती है। यहां आपको बजट से जुड़े अहम सवालों का जवाब दिया गया है।

डिसइनवेस्टमेंट क्या है?

डिसइनवेस्टमेंट का मतलब उस प्रक्रिया से है जिसका इस्तेमाल सरकार के किसी एसेट या उसकी सब्सिडियरी में हिस्सेदारी बेचने के लिए किया जाता है। सरकार के बजट या फिस्कल पॉलिसी के मामले में डिसइनवेस्टमेंट का मतलब किसी सरकारी कंपनी में पूरी या कुछ हिस्सेदारी बेचने से है।


कटौती प्रस्ताव (Cut Motion) क्या है?

कटौती प्रस्ताव एक तरह का वीटो है, जिसका इस्तेमाल सांसद बजट में खर्च के किसी खास प्रस्ताव के खिलाफ कर सकते हैं। यह प्रस्ताव इकोनॉमी की स्थिति या किसी मसले पर मतभेद या सिर्फ नाराजगी जताने के लिए पेश किया जाता है। इस प्रस्ताव के स्वीकार हो जाने का मतलब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग होती है और सरकार गिर जाती है। कटौती प्रस्ताव कई तरह के होते हैं : डिसएप्रूवल ऑफ पॉलिसी कट, इकोनॉमिक कट, टोकन कट।

विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) क्या है?

कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से पैसे निकालने के लिए विनियोग विधेयक की जरूरत पड़ती है। यह एक मनी बिल है जिसे साल में एक बार या एक से ज्यादा पारित पारित कराया जाता है। संविधान से मनी बिल को पारित करने के मामले में लोकसभा को ज्यादा अधिकार हासिल है। संविधान के आर्टिकल 114 में यह कहा गया है कि संसद या राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी के बगैर कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से पैसा नहीं निकाला जा सकता। आम तौर पर बजट पेश होने के बाद विनियोग विधेयक पेश किया जाता है ताकि सरकार आवंटन के लिए पैसा निकाल सके।

एक्सेस ग्रांट क्या है?

संविधान के आर्टिकल 113 में कहा गया है कि कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से अनुमानित खर्च एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट में शामिल होता है और इस पर लोकसभा में वोटिंग जरूरी होती है। डिमांड फॉर ग्रांट्स के रूप में पेश करना होता है। एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के साथ डिमांड फॉर ग्रांट्स को लोकसभा में पेश किया जाता है। आम तौर पर हर मिनिस्ट्री या डिपार्टमेंट के हिसाब से एक डिमांड फॉर ग्रांट पेश किया जाता है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर एक मिनिस्ट्री या डिपार्टमेंट के लिए एक से ज्यादा डिमांड फॉर ग्रांट पेश की जा सकती है।

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