Budget 2024: अंतरिम बजट (Interim Budget) का मकसद वोट-ऑन-अकाउंट होता है। इसके जरिए सरकार को अगले वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीने के अपने खर्च की संसद की मंजूरी मिलती है। लोकसभा चुनावों के बाद जो नई सरकार बनती है, वह पूर्ण बजट पेश करती है। इसमें टैक्स से जुड़े फैसले होते हैं। चुनावों से पहले अंतरिम बजट का इस्तेमाल सरकार अपनी उपलब्धियां बताने के लिए करती है। वह यह भी बताती है कि चुनावों के बाद फिर से सत्ता में आने पर भविष्य को लेकर उसका क्या विजन होगा। सीतारमण ने इन दोनों ही मोर्चों पर निराश नहीं किया। अंतरिम बजट में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों ही टैक्सेज में बदलाव नहीं किया गया है। कुछ खास टैक्स बेनेफिट्स जिनकी अवधि इस वित्त वर्ष में खत्म हो रही है, उन्हें एक साल के लिए बढ़ा देने का प्रस्ताव बजट में है।
फिस्कल डेफिसिट में कमी लाने पर फोकस
2023-24 में जीडीपी का साइज इस वित्त वर्ष के अनुमान के मुकाबले 2 फीसदी कम है। हालांकि, रेवेन्यू की ग्रोथ टारगेट से ज्यादा रही है। फिस्कल डेफिसिट 5.8 फीसदी रहा है, जो बजट में तय 5.9 फीसदी के टारगेट से कम है। सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का 5.1 फीसदी टारगेट रखा है, जो बताता है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने के अपने टारगेट को लेकर गंभीर है। यह प्रशंसनीय कदम है।
खास वर्गों के लिए मोदी सरकार की चिंता
बजट भाषण में सरकार की 10 साल की उपलब्धियां शामिल थीं। सरकार ने हर सेक्टर की ग्रोथ के बारे में बताया है। उन स्कीमों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें केंद्र ने लॉन्च किया और उसके लिए पैसे भी दिए। इन योजनाओं को किसी व्यक्ति का नाम देने की जगह प्रधानमंत्री नाम दिया गया। प्रधानमंत्री को समाज के खास वर्गों की चिंता है। इनमें महिला, युवा, किसान, वैज्ञानिक, गांवों में रहने वाले लोग, शहरों में रहने वाले लोग, छोटे उद्यमी, बड़े उद्यमी, स्टार्टअप्स और आंत्रप्रेन्योर्स शामिल हैं। इसके अलावा वे लोग भी शामिल हैं, जिनके पास घर नहीं है और जो काम की तलाश कर रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ाने के उपाय नहीं
बजट भाषण में 1 करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल लगाने और मुफ्त बिजली देने का प्लान शामिल था। बजट भाषण में जो बात शामिल नहीं थी, वह थी ग्रामीण इलाकों में लोगों की परेशानी। पिछले पांच साल में ग्रामीण इलाकों में लोगों की इनकम में कमी आई है। कंज्यूमर गुड्स सेल्स से भी इसके संकेत मिले हैं। वित्तमंत्री ने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2023 के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में इंडिया की रैंक में आई गिरावट का भी जिक्र नहीं किया। आखिर विपक्ष को खुद हमले करने के लिए हथियार देने का क्या मतलब है? सरकार ने पूंजीगत खर्च को 11.1 फीसदी बढ़ाकर 11.1 लाख करोड़ करने का प्रस्ताव पेश किया है। इसके लिए पैसे उधार लेने का प्रस्ताव है।
टीके अरुण (वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार)