फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में यूनियन बजट पेश कर सकती हैं। इस साल 1 फरवरी को उन्होंने अंतरिम बजट पेश किया था। लोकसभा चुनाव वाले साल में सरकार पहले अंतरिम बजट पेश करती है। चुनावों के बाद जो नई सरकार बनती है वह फुल बजट पेश करती है। चुनावों के बाद तीसरी बार केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है। इस बार बजट पर करीबी नजरें लगी हैं, क्योंकि यह नई एनडीए सरकार का पहला बजट है। केंद्र की नई सरकार सहयोगी दलों पर निर्भर है।
यूनियन बजट का मतलब क्या है?
यूनियन बजट (Union Budget) का मतलब 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक के सरकार के रेवेन्यू और खर्च के हिसाब से है। संविधान के आर्टिकल 112 के मुताबिक, किसी खास वित्त वर्ष के दौरान सरकार के अनुमानित रेवेन्यू और खर्च के स्टेटमेंट को एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट (Annual Financial Statement) कहा जाता है। इस संसद के दोनों सत्रों-राज्यसभा और लोकसभा में पेश किया जाता है। यूनियन बजट केंद्र सरकार के फाइनेंस का सबसे व्यापक डॉक्युमेंट होता है।
यह बजट इसलिए भी काफी अहम है, क्योंकि इससे केंद्र की नई एनडीए सरकार की पॉलिसी की दिशा के बारे में अंदाजा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले कुछ सालों में इकोनॉमी के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर का टारगेट रखा है। साथ ही वह 20247 तक देश को विकसित देश बनाना चाहते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इसके लिए बजट में किस तरह के उपायों का ऐलान करती है।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बजट में वेल्फेयर स्कीम पर सरकार का फोकस बढ़ सकता है। सरकार एफोर्डेबल हाउसिंग के लिए स्कीम का ऐलान कर सकती है। साथ ही इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है। खासकर 15-20 लाख तक सालाना इनकम वाले लोगों को सरकार बजट में राहत दने के उपायों का ऐलान कर सकती है। सीआईआई और पीएचडीसीसीआई सहित कई एक्सपर्ट्स ने सरकार को इनकम टैक्स में राहत देने की सलाह दी है।