यूनियन बजट आने में करीब एक हफ्ता बचा है। इस बजट पर सबसे ज्यादा नजरें मिडिल क्लास की हैं। उन्हें इस बार इनकम टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद है। सीआईआई और पीएचडीसीसीआई जैसे प्रमुख उद्योग चैंबर्स ने पिछले महीने बजट से पहले हुई चर्चा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को मिडिल क्लास और कम इनकम वाले लोगों को टैक्स से राहत देने की सलाह दी थी। कई टैक्स एक्सपर्ट्स ने भी कहा है कि पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ घटाना जरूरी है। इसके बाद मिडिल क्लास की उम्मीदों को पंख लग गए।
मिडिल क्लास टैक्स चुकाने में सबसे आगे
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिडिल क्लास (Middle Class Taxpayers) खासकर सैलरीड क्लास (Salaried Taxpayers) इनकम टैक्स (Income Tax) चुकाने में सबसे आगे रहता है। इसलिए सरकार को इनका खास ख्याल रखना चाहिए। उनके लिए टैक्स के रेट कम और नियम आसान होने चाहिए। इसके लिए सरकार ने इनकम टैक्स की नई रीजीम (Income Tax New Regime) का ऐलान 2020 में किया था। लेकिन, टैक्सपेयर्स ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। पिछले साल के बजट में नई रीजीम का अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कई ऐलान किए थे। लेकिन, कई चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब भी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स की ज्यादा दिलचस्पी ओल्ड रीजीम में है।
सरकार ने 2027 में टैक्सपेयर्स को राहत दी थी
सरकार ने इनकम टैक्स के रेट्स में 2017 में बदलाव के एलान किए थे। पूर्व वित्तमंत्री अरूण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम वाले इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स रेट 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। उन्होंने इनकम टैक्स के सेक्शन 87ए के तहत 5 लाख रुपये तक की इनकम वाले लोगों को मिलने वाले रिबेट में भी बदलाव किया था। पहले यह रिबेट 5,000 रुपये था। उन्होंने ऐलान किया कि आगे से 2.5 से 3.5 लाख रुपये तक की इनकम पर 2,500 रुपये का रिबेट मिलेगा। इस नए रिबेट और टैक्स रेट घटकर 5 फीसदी होने से 3 लाख रुपये से 3.5 लाख रुपये तक की इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स घटकर सिर्फ 2,500 रुपये रह गया था।
मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ काफी ज्यादा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक बार फिर से मिडिल क्लास को टैक्स में राहत देने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि रुपये पर इनफ्लेशन के असर को देखने पर यह साफ हो जाता है कि आज मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ काफी ज्यादा है। बजट 2014 में 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 20 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान हुआ था। 10 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया था। पिछले 10 साल में टैक्स के रेट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
मिडिल क्लास 10 साल पहले के मुकाबले चुका रहा ज्यादा टैक्स
अगर सालाना रिटेल इनफ्लेशन औसत 6 फीसदी मान लिया जाए तो 2014 में 5 लाख रुपये की वैल्यू आज घटकर 2.8 लाख रुपये रह गई है, जबकि 10 लाख रुपये की वैल्यू घटकर 5.6 लाख रुपये रह गई है। इसका मतलब है कि 2014 में लोग 10 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स चुका रहे थे। आज वे 5.6 लाख रुपये की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स चुका रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि 10 साल पहले के मुकाबले आज लोग काफी ज्यादा टैक्स चुका रहे हैं।
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मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ घटाने के कई फायदें
यही वजह है कि टैक्स एक्सपर्ट्स और उद्योग चैंबर्स मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में जल्द राहत देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मिडिल क्लास को टैक्स में राहत का इकोॉमी पर भी अच्छा असर पड़ेगा। लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचने पर कंज्यूमर डिमांड बढ़ेगी। जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी से ऊपर रहने के बावजूद कंज्यूमर ग्रोथ कमजोर बनी हुई है।