टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। टैक्स-सेविंग्स के लिए टैक्सपेयर्स सबसे ज्यादा सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाले डिडक्शन का इस्तेमाल करते हैं। इससे व्यक्ति पर टैक्स का बोझ घट जाता है। अभी सेक्शन 80सी के तहत मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। 80सी के तहत आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन में निवेश करने पर यह डिडक्शन मिलता है।
2014 से नहीं बढ़ाई गई है लिमिट
सरकार ने 80सी के तहत डिडक्शन की लिमिट 2014 से नहीं बढ़ाई है। चूंकि, यह सेक्शन एक तरफ टैक्सपेयर्स को टैक्स सेविंग्स में मदद करता है तो दूसरी तरफ इससे लंबी अवधि में अच्छी सेविंग्स हो जाती है। इस सेक्शन के तहत कुछ ऐसे इनवेस्टमेंट विकल्प शामिल हैं, जिनमें लंबी अवधि तक निवेश करने पर बड़ा फंड तैयार हो जाता है। म्यूचुअल फंड की टैक्स स्कीम और PPF इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
सिर्फ ओल्ड रीजीम में 80सी के तहत डिडक्शन
सेक्शन 80सी के तहत दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर भी डिडक्शन की इजाजत है। इसके अलावा लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर भी इस सेक्शन के तहत डिडक्शन मिलता है। ये दोनों आम खर्च हैं। बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स दोनों ही खर्च करते हैं। एक बात ध्यान में रखने की जरूरत है कि सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन इनकम टैक्स की सिर्फ ओल्ड रीजीम में मिलती है। नई रीजीम में इसका फायदा नहीं मिलता है।
लिमिट बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की जा सकती है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले 10 साल में इनफ्लेशन के असर को देखा जाए तो सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाने की जरूरत लगती है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना ने कहा, "सरकार को सेक्शन 80सी की लिमिट 1.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि सरकार को घटते सेविंग्स रेट पर भी गौर करना चाहिए। मार्च 2022 में यह 31.2 फीसदी था, जो घटकर मार्च 2023 में 30.2 फीसदी पर आ गया है।
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लिमिट बढ़ाने से ओल्ड टैक्स रीजीम में बढ़ेगी दिलचस्पी
हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सरकार सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाती है तो इससे इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी बढ़ेगी। सरकार की कोशिश नई रीजीम में टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी बढ़ाने में है। इसलिए सरकार ने पिछले साल पेश बजट में नई रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए कई एलान किए थे। नोएडा के चार्टर्ड अकाउंटेंट मयंक मोहनका का कहना है कि सरकार को अपना फोकस नई टैक्स रीजीम पर बनाए रखना चाहिए।