वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के टार्गेट को हासिल करने में कामयाब रहेगी। सोमवार को पेश इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) में यह बात कही गई है। अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए यह अच्छा है। इसकी वजह यह है कि फिस्कल डेफिसिट बढ़ने पर सरकार के लिए खर्च बढ़ाना मुश्किल हो जाता है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे 2022 पेश किया। इसमें कहा गया है कि सरकार ने फिस्कल पॉलिसी को लेकर जो एप्रोच अपनाया है और रेवेन्यू कलेक्शन में अब तक जो उछाल दिखा है, उससे बदलती स्थितियों को देखते हुए सरकार के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की गुंजाइश बची हुई है। इसलिए यह उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार के लिए फिस्कल डेफिसिट के टार्गेट को हासिल करने में दिक्कत नहीं आएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया था। इसमें फिस्कल डेफिसिट का टार्गेट 6.8 फीसदी (जीडीपी का) तय किया गया था। इसका मतलब है कि इस वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2.4 फीसदी कम रहेगा। पिछले वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट 9.2 फीसदी था।
कोरोना की महामारी का पिछले वित्त वर्ष में इकोनॉमी पर बहुत असर पड़ा था। इसे काबू में करने के लिए सरकार को अपना खर्च बढ़ाना पड़ा था। इससे फिस्कल डेफिसिट बढ़ गया। सरकार ने फिस्कल डेफिसिट को लंबी अवधि मे कम कर 3 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। मध्यम अवधि में यानी वित्त वर्ष 2025-26 तक इसे घटाकर 4.5 फीसदी करना है।
इस वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में फिस्कल डेफिसिट टार्गेट के 46.2 फीसदी तक पहुंच गया। इसमें टैक्स कलेक्शन में उछाल का बड़ा योगदान रहा। कुछ इकोनॉमिस्ट्स ने इस वित्त वर्ष में सरकार की वित्तीय सेहत को लेकर कुछ चिंता दिखाई है। लेकिन मनीकंट्रोल के सर्वे से यह संकेत मिला है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट के टार्गेट को हासिल करने में कामयाब रहेगी। साथ ही वह अगले वित्त वर्ष के लिए 6.1 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य तय कर सकती है।
सरकार के बढ़ते कर्ज के बारे में भी इकोनॉमिक सर्वे में पॉजिटिव बातें हैं। इसमें कहा गया है कि पब्लिक डेट पोर्टफोलियो स्टेबल और सस्टेनेबल है। इसका मतलब है कि फिलहाल सरकार के कर्ज को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।