Economic Survey: 23 जुलाई को बजट 2024 पेश होने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 को संसद में पेश किया। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहा गया है कि हर तरह के स्किल लेवल्स में कर्मचारियों पर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI) के पड़ने वाले असर को लेकर काफी अनश्चितता है। सर्वे में यह अनुमान जताया गया है कि नए जमाने की टेक्नोलॉजी से प्रोडक्टिविटी में तो वृद्धि होगी, लेकिन कुछ क्षेत्रों में रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि AI, इनोवेशन की अपनी तेज रफ्तार और प्रसार में आसानी के मामले में बेजोड़ है। लेकिन इससे आने वाले वक्त में काम के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। आर्थिक सर्वे के अनुसार, 'आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के आने से सभी स्तरों के वर्कर्स पर इसके प्रभाव के बारे में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। भविष्य में काम के तौरतरीकों को लेकर सबसे बड़ा डिसरप्शन, AI में तेजी से हो रही वृद्धि है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने के लिए तैयार है।'
भारत भी बदलाव से नहीं रहेगा अछूता
इकोनॉमिक सर्वे में यह भी कहा गया है, ‘‘भारत इस बदलाव से अछूता नहीं रहेगा। AI को बिजली और इंटरनेट की तरह एक सामान्य उद्देश्य वाली तकनीक के रूप में मान्यता दी जा रही है, जो इनोवेशन की अपनी तीव्र गति और प्रसार में आसानी के कारण बेजोड़ है। जैसे-जैसे AI बेस्ड प्रणाली ‘स्मार्ट’ होगी, इसकी स्वीकार्यता बढ़ेगी और काम का तौर-तरीका बदलेगा।’’
दिख सकते हैं क्या प्रमुख बदलाव
सर्वे में आगे गया कि AI में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की काफी क्षमता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह नौकरियों को प्रभावित भी कर सकती है। ग्राहक सेवा समेत रूटीन टास्क्स में उच्च स्तर के ऑटोमेशन की संभावना है। क्रिएटिव सेक्टर्स में, इमेज और वीडियो क्रिएशन के लिए AI टूल्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल देखने को मिल सकता है। साथ ही पर्सनलाइज्ड AI शिक्षक, शिक्षा को नया रूप दे सकते हैं और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में दवाओं की खोज में तेजी आ सकती है।’’