Economic Survey 2022 : इकोनॉमिक सर्वे ने कहा, 'ऑल इज वेल', फिर क्यों है आर्थिक पैकेज की जरूरत?

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों के जल्द पटरी पर लौटने से कंजम्प्शन में तेज इंप्रूवमेंट देखने को मिलेगा

अपडेटेड Jan 31, 2022 पर 6:33 PM
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इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों के जल्द पटरी पर लौटने से कंजम्प्शन में तेज इंप्रूवमेंट देखने को मिलेगा। जहां तक इन्वेस्टमेंट डिमांड की बात हैं तो इसके बारे में भी सर्वे में पॉजिटिव बातें कही गई हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) पेश किया। इसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति और इन रिफॉर्म्स के बारे में बताया गया है, जो ग्रोथ बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। आइए इस सर्वे की खास बाते जानते हैं।

इस साल के इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 की संभावनाओं के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन, इसमें यह भरोसा जताया गया है कि इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। इसकी ग्रोथ अगले वित्त वर्ष में 8 से 8.5 फीसदी रह सकती है। कई इकोनॉमिस्ट्स ने कंजम्प्शन को लेकर चिंता जताई है। उनकी दलील है कि गरीब लोगों की इनकम पर कोरोना की बहुत मार पड़ी है। इकोनॉमिस सर्वे में ऐसी आशंका नहीं जताई गई है।

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों के जल्द पटरी पर लौटने से कंजम्प्शन में तेज इंप्रूवमेंट देखने को मिलेगा। जहां तक इन्वेस्टमेंट डिमांड की बात हैं तो इसके बारे में भी सर्वे में पॉजिटिव बातें कही गई हैं। इसमें कहा गया है, "हालांकि, प्राइवेस्ट इन्वेस्टमेंट अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन ऐसे कई संकेत हैं जो बताते हैं कि इन्वेस्टमेंट में बड़ा इजाफा होगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्चर में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट वाले प्रोजेक्ट्स की संख्या पिछले कुछ सालों में बढ़ रही है।"


सर्वे के मुताबिक, कंपनियों के प्रॉफिट में रिकॉर्ड उछाल आया है। प्राइवेट कंजम्प्शन बढ़ने से कैपिटल यूटिलाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा। इससे प्राइवेट इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी बढ़ेगी। आरबीआई के लेटेस्ट इंडस्ट्रियल आउटलुक सर्वे के नतीजे बताते हैं कि इन्वेस्टर्स की उम्मीदें बढ़ रही हैं। सवाल है कि क्या बेरोजगारी समस्या है? इसके बारे में इकोनॉमिक सर्वे ने ईपीएफओ के आंकड़ों का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि 2921 में न सिर्फ सब्सक्रिप्शन में नेट एडिशन ज्यादा रहा है बल्कि यह साल 2019 में कोरोना से पहले के स्तर को भी पार कर गया है। इससे जॉब मार्केट के फॉर्मेलाइजेशन के साथ ही नए हायरिंग का पता चलता है।

लेकिन, क्या रूरल इंपलॉयमेंट गारंटी प्रोग्राम के तहत काम तलाशने वाले लोगों की ज्यादा संख्या बेरोजगारी का संकते नहीं दे रही है? इस सवाल के जवाब में यह सर्वे कहता है कि एग्रीगेट लेवल पर डिमांड अब भी कोरोना से पहले के स्तर पर दिखाई देती है। सर्वे का कहना है कि मनरेगा के तहत रोजगार की मांग उन राज्यों से नहीं आ रही है, जो मजदूरों को बाहर भेजते हैं बल्कि उन राज्यों से आ रही है जहां ज्यादा मौजूद अपने घरों में लौटते हैं।

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MoneyControl News

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First Published: Jan 31, 2022 5:40 PM

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