इंडिया और यूरोपीय यूनियन (ईयू) के बीच फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर के बाद भी इसके लागू होने में कम से कम एक साल का समय लग जाएगा। इसकी वजह यूरोपीय यूनियन में शामिल 27 देशों का रेटफिकेशन प्रोसेस है। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। इंडिया और ईयू के बीच फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर बातचीत चल रही है। इस साल के अंत तक यह ट्रेड डील हो जाने की उम्मीद है।
ईयू में शामिल 27 देशों का रेटफिकेशन जरूरी होगा
एक सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "इसके लागू होने में समय लगेगा, क्योंकि EU में 27 देश शामिल हैं। इनमें से कुछ देशों का अपना रेटफिकेशन प्रोसेस (ratification process) है।" इंडस्ट्री के एक सूत्र ने तो कहा कि इसके लागू होने में एक साल से भी ज्यादा समय लग सकता है।
इंडिया-ईयू के बीच अगले दौर की बातचीत अक्टूबर में
इंडस्ट्री के सूत्र ने कहा, "ईयू में शामिल देशों को इस डील को एप्रूव करना होगा। इसलिए कम टैरिफ का फायदा उठाने के लिए निर्यातकों को इंतजार करना होगा।" इंडिया और ईयू के बीच डील के लिए 13वें दौर की बातचीत 8-12 सितंबर के बीच हुई। इसमें कई क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी। बातचीत का अगला दौर ब्रूसेल्स में 6-10 अक्टूबर के बीच होगा।
यूरोपीय कमीशन ईयू का प्रतिनिधित्व करता है
यूरोपीय यूनियन की तरफ से यूरोपीय कमीशन ट्रेड डील पर बातचीत करता है। यूरोपीय यूनियन काउंसिल के एप्रूवल के बाद वह डील के लेकर बातचीत करता है। बातचीत पूरी होने के बाद कमीशन एग्रीमेंट को पब्लिश करता है। उसके बाद डील पर यूरोपीय काउंसिल और यूरोपीय संसद विचार करती है। दोनों के एप्रूव करने के बाद ईयू इस डील को फाइनल कर देता है।
एग्रीमेंट के कुछ हिस्से पहले लागू हो सकते हैं
डील पर हस्ताक्षर और एप्रूवल के बीच एग्रीमेंट के कुछ हिस्से लागू अस्थायी रूप से लागू हो सकते हैं। लेकिन, इसके लिए यूरोपीय काउंसिल की सहमति जरूरी है। डील के कुछ हिस्से आम तौर पर यूरोपीय संसद के एप्रूवल के बाद लागू हो जाते हैं। उदाहरण के लिए न्यूजीलैंड के साथ ईयू के FTA पर 9 जुलाई, 2023 को हस्ताक्षर हुआ, जबकि डील 30 जून, 2022 को हो गई थी।
भारत-ईयू जल्द ट्रेड डील फाइनल करना चाहते हैें
भारत और ईयू ट्रेड डील जल्द करना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ को लेकर पॉलिसी से वैश्विक व्यापार को चोट पहुंची है। ऐसे में इंडिया और ईयू दोनों ही व्यापार के मामलें में अमेरिका पर अपनी निर्भरता घटाना चाहते हैं। ईयू इंडिया का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। इंडिया के कुल ट्रेड में ईयू की 12.2 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके मुकाबले अमेरिका की 10.8 फीसदी और चीन की 10.5 फीसदी हिस्सेदारी है। इंडिया से एक्सपोर्ट के मामले में अमेरिका के बाद ईयू दूसरे पायदान पर है।