सरकार कंपनी मामलों के मंत्रालय से जुड़े 3 कानूनों के 14 प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई के दायरे से बाहर कर देगी। जिन कानूनों के प्रावधानों में बदलाव किया जाना है, उनमें कंपनी एक्ट 2023, कॉम्पिटिशन एक्ट 2002 और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2016 शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इस सिलसिले में 23 जुलाई को बजट में घोषणा की जा सकती है।
अधिकारी ने बताया, 'सरकार कंपनी एक्ट, कॉम्पिटिशन एक्ट और IBC के कुछ प्रावधानों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। इनमें से 8 प्रावधानों की पहचान डिपार्टमेंट के स्तर पर की गई है, जबकि 6 को अंतर-मंत्रालय कमेटी द्वारा शॉर्ट लिस्ट किया गया है।' उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के सचिव की अगुवाई में बनी अंतर-मंत्रालय कमेटी को ऐसे प्रावधानों की पहचान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिन्हें अपराध के दायरे से बाहर किया जा सकता है। अंतर-मंत्रालय कमेटी में फाइनेंस मिनिस्ट्री, नीति आयोग, DPIIT आदि के सीनियर अधिकारी शामिल होते हैं।
इन प्रावधानों को अपराध के दायरे से बाहर करने से सरकार इनमें कैद की बजाय जुर्माना वसूलकर काम चला सकेगी और इस तरह ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जा सकेगा। प्रावधानों में बदलाव का मुख्य मकसद भारत में कंप्लायंस का बोझ कम कर कारोबारी माहौल को बेहतर बनाना य् और छोटी-मोटी गड़बड़ियों के लिए गंभीर कार्रवाई के डर को खत्म करना है। कुल मिलाकर, रेगुलेटरी स्तर पर माहौल बेहतर बनाने की दिशा में इसे अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
इन प्रावधानों में बदलाव को जन विश्वास बिल II के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। जन विश्वास बिल के अगले एडिशन में विभिन्न कानून के कुल 100 से भी ज्यादा प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई की कैटगरी से हटाया जा सकता है। ये प्रावधान इनकम टैक्स कानून, पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स कानून, आरबीआई कानून, फेमा कानून, बैंकिंग रेगुलेशन कानून से जुड़े हैं।