Budget 2024: निफ्टी सूचकांक अपने रिकॉर्ड लेवल पर कारोबार कर रहा है और ऐसे में ट्रेडर्स 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट से पहले बाजार पर नजर बनाए हुए हैं। अगर पुराने आंकड़ों के नजरिये से बात करें, तो बजट के दिन निफ्टी 4 पर्सेंट के दायरे में कारोबार कर चुका है। ब्रोकरेज फर्म ICICI सिक्योरिटीज में डेरिवेटिव और क्वांटिटिव हेड जय ठक्कर के मुताबिक, ' पिछले 13 में से 12 वर्षों के दौरान निफ्टी ने -2 से +2 पर्सेंट के दायरे में कारोबार किया है। इससे साफ है कि पिछले दशक में 4 पर्सेंट की रेंज देखने को मिली है।'
ठक्कर ने बताया कि इस मामले में साल 2022 अपवाद था, जब निफ्टी 4.7 पर्सेंट की बढ़त के साथ बंद हुआ था। उन्होंने बताया, ' आम तौर पर ऐसे इवेंट से पहले ऑप्शंस की इंप्लॉयड वोलैटिलिटी (IVs) बढ़ती है और इंडेक्स में अहम बदलाव नहीं होने पर IV भी सुस्त होने लगती है।' इंप्लॉयड वोलैटिलिटी का मतलब है कि आने वाले समय में कोई स्टॉक या अन्य एसेट में कितना उतार-चढ़ाव हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो यह एसेट की संभावित कीमतों को लेकर बाजार की उम्मीदों के बारे में बताता है।
ज्यादा इंप्लॉयड वोलैटिलिटी का मतलब है कि ट्रेडर्स को कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव का अनुमान है, जबकि कम इंप्लॉयड वोलैटिलिटी का मतलब यह है कि ट्रेडर्स को कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना है। ठक्कर का मानना है कि बजट को ध्यान में रखते हुए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में इन स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल किया जा सकात है।
यह स्ट्रैटेजी न सिर्फ मार्जिन की जरूरतों को कम करने में मददगार होगी, बल्कि निफ्टी के इस रेंज में बंद होने की सूरत में रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट (RoI) भी बढ़ाएगी। साथ ही, सेलिंग ऑप्शंस से पैदा होने वाले जोखिम से हेजिंग में भी मदद मिलेगी।
शॉर्ट आयरन बटरफ्लाई स्ट्रैटेजी में एक ही एक्सपायरी डेट वाले चार ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। हालांकि, इनमें 3 अलग स्ट्राइक प्राइस होती हैं। इस स्ट्रैटेजी का मकसद एसेट की कीमतों में कम से कम मूवमेंट के जरिये प्रॉफिट हासिल करना है।
शॉर्ट आयरन कॉन्डर स्ट्रैटेजी में चार ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट होते हैं और सभी की एक ही एक्सपायरी डेट होती है। हालांकि, चारों में स्ट्राइक प्राइस अलग-अलग होती हैं। यह स्ट्रैटेजी शॉर्ट आयरन बटरफ्लाई जैसी है, लेकिन इसमें स्ट्राइक की रेंज ज्यादा होती है। लिहाजा, यह स्ट्रैटेजी कम आक्रामक होती है।