बजट 2022 (Budget 2022) में इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) से जुड़ा एक प्रस्ताव शामिल था। इसमें कहा गया है कि अगर आपने एक साल तक अपना इनकम-टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है तो आपको ज्यादा टीडीएस (TDS) चुकाना होगा। पहले यह विंडो दो साल का था। लेकिन, इसमें एक पेच है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
वित्त वर्ष 2021-22 में हुई इनकम के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई (अगर डेडलाइन नहीं बढ़ाई गई तो) 2022 होगी। इसका मतलब है कि अगर आपने वित्त वर्ष 2020-21 में हुई इनकम के लिए रिटर्न फाइल नहीं किया है तो ज्यादा टीडीएस पेमेंट से बचने के लिए आप जुलाई 2022 तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
अगर आप रेंट का पेमेंट करते हैं, प्रॉपर्टी सेल करते हैं या डिविडेंड या फिक्स्ड डिपॉजिट पर इंट्रेंस्ट पाते हैं तो 1 से 20 फीसदी अमाउंट डिडक्ट कर दिया जाएगा। इस अमाउंट को टीडीएस कहा जाता है। रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले दो साल तक रिटर्न नहीं फाइल करने वाले लोगों के लिए टीडीएस बढ़ाकर दोगुना किया था।
टैक्सस्पैनर डॉट कॉम के को-फाउंडर सुधीर कौशिक कहते हैं, "सरकार ने टैक्स-बेस बढ़ाने और रिटर्न नहीं फाइल करने वाले लोगों की संख्या घटाने के लिए यह प्रस्ताव पेश किया है। टीडीएस बढ़ाने से लोगों में रिटर्न फाइल करने को लेकर जागरूकता बढ़ेगी। रिटर्न नहीं फाइल करने वाले लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा।"
यह रूल ऐसे लोगों पर लागू होगा, जिनकी कुल टीडीएस लायबिलिटी सालाना 50,000 रुपये से ज्यादा होगी और यह सैलरी इनकम पर लागू नहीं होगा। नॉन-रेजिडेंट इंडियंस और हाई-वैल्यू सेल पर भी टीडीएस लागू होता है।
रूल में बदलाव से लगता है कि टैक्स फाइलिंग के लिए समय को घटाकर आधा किया गया है, लेकिन वास्तव में यह समय बहुत कम हो गया है। इसकी वजह फाइनेंशियल ईयर और एसेसमेंट ईयर के बीच अंतर है। केबीपी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर पारस सावला ने कहा, "बजट में इस प्रस्ताव को सेक्शन 139-1 के प्रावधानों से लिंक किया गया है। इसका मतलब है कि अगर आप तय समय तक रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो आपको ज्यादा टीडीसी देना होगा।"
उदाहरण के लिए अगर एसेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न 31 जुलाई, 2022 तक फाइल नहीं करते हैं और आपको अगस्त 2022 में रेंट चुकाना है तो आपको डबल टीडीएस डिडक्ट करना होगा, क्योंकि आपने पिछले साल का रिटर्न फाइल नहीं किया है। इसका मतलब है कि आपको तय तारीख तक रिटर्न फाइल करना होगा या डबल रेट से टीडीसी चुकाना होगा।
बजट 2022 के इस प्रावधान को लागू करने में व्यवहारिक दिक्कतें हैं, क्योंकि हर कंपनी टैक्स फाइलिंग स्टेट्स का ट्रैक रखने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है। सावला ने कहा, "पिछले साल दो साल का विंडो शुरू होने के बाद हम साल में एक बार कंप्लायंस ट्रैकर चेक करते थे। फिर टैक्स-फाइलिंग स्टेटस के आधार पर टीडीएस का पर्सेंटेज तय करते थे। अब हमें रियल टाइम स्टेटस चेक करना होगा और अतिरिक्त चेक एंड बैलेंसेज शुरू करने होंगे। हर पेमेंट पर टीडीएस लायबिलिटी जानने के लिए बार-बार मल्टीपल फील्ड्स भरने होंगे।"