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Union Budget 2022: फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए बढ़ सकता है आवंटन

डब्ल्यूटीओ (WTO) के नियमों के तहत विकसित देशों को उत्पादन के मूल्य के 5 फीसदी तक सब्सिडी देने की इजाजत है। विकासशील देशों के लिए यह सीमा 10 फीसदी है

अपडेटेड Jan 25, 2022 पर 1:28 PM
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी। इस बजट से कृषि क्षेत्र को कई उम्मीदें हैं।

इस बार बजट (Budget 2022) में फूड और फर्टिलाइजर के लिए आवंटन काफी बढ़ने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को अपना चौथा बजट पेश करेंगी। फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ने से कृषि क्षेत्र को फायदा होगा। ज्यादा सब्सिडी मिलने से फर्टिलाइजर कंपनियां किसानों को कम दरों पर फर्टिलाइजर बेच सकेंगी। कृषि क्षेत्र खासकर किसानों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पिछले साल पेश बजट में फूड के लिए 2.43 लाख करोड़ रुपये और फर्टिलाइजर के लिए 79,530 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रस्ताव पेश किया था। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मुफ्त अनाज मुहैया करा रही है। माना जा रहा है कि इस स्कीम को ध्यान में रख सरकार फूड सब्सिडी में इजाफा कर सकती है।

इस बार फर्टिलाइजर सब्सिडी में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है। सरकार इस बार फर्टिलाइजर के लिए 1.4 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी का ऐलान कर सकती है। सरकार सब्सिडी की रकम से फर्टिलाइजर कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई करती है। इन कंपनियों को किसानों को बाजार से कम दर पर फर्टिलाइजर बेचना पड़ता है।


माना जा रहा है कि सरकार उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और पंजाब (Punjab) में विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाने की तैयारी में है। दरअसल, इन दोनों राज्यों में किसानों ने नए कृषि कानूनों का विरोध किया था। बाद में सरकार को नए कानूनों को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा था। सरकार फर्टिलाइजर सब्सिडी से इन राज्यों के किसानों के घाव पर मरहम लगाने की कोशिश कर सकती है।

उधर, कोरोना की तीसरी लहर (Third wave of corona) के बीच सरकार पीएमजीकेएवाई योजना को जारी रखना चाहेगी। इसके लिए सरकार सब्सिडी बढ़ाना चाहेगी। सरकार कोरोना की शुरुआत से ही इस योजना के तहत लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया करा रही है।

डब्ल्यूटीओ (WTO) के नियमों के तहत विकसित देशों को उत्पादन के मूल्य के 5 फीसदी तक सब्सिडी देने की इजाजत है। विकासशील देशों के लिए यह सीमा 10 फीसदी है। हालांकि, पश्चिमी देशों पर अपने किसानों को सब्सिडी देने में नियमों की अनदेखी करने के आरोप लगते रहे हैं।

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