Union Budget 2023: निर्यात क्षेत्र को इस बार बजट से काफी उम्मीदें हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इंडिया में मैन्युफैक्टरिंग को बढ़ावा देने के लिए PLI सहित कई कदम उठाए हैं। मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने से निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी इंडिया आयात ज्यादा करता है, जबकि निर्यात कम करता है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) इस बार बजट में उपायों का ऐलान कर सकती हैं। फेडरेलेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ने अपने सुझावों से फाइनेंस मिनिस्ट्री को अगवत करा चुका है। उसने कहा है कि सरकार को एक एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फंड बनाना चाहिए। इसका आकार पिछले फाइनेंशियल ईयर के कुल एक्सपोर्ट का कम से कम 0.5 फीसदी होना चाहिए।
जॉब्स पैदा करने वाली कंपनियों को मिले इंसेंटिव
एफआईईओ का कहना है कि सरकार को इस बार के बजट में रोजगार के अतिरिक्त मौके उपलब्ध कराने वाली निर्यात से जुड़ी उन कंपनियों को आर्थिक मदद देनी चाहिए। सरकार को फिर से एमएसएमई के लिए 5 फीसदी और 410 टैरिफ लाइंस पर 3 फीसदी इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन बेनेफिट को लाना चाहिए। अक्टूबर 2021 से पहले इसी तरह की व्यवस्था थी। क्रेडिट की कॉस्ट कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंच गई है। इसका असर निर्यातकों पर पड़ रहा है।
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ग्लोबल शिपिंग लाइंस शुरू करने से बढ़ेगा निर्यात
एक्सपोर्ट्स सेक्टर की जानकारी रखने वाले लोगों का मानना है कि सरकार को प्राइवेट कंपनियों को आर्थिक मदद देनी चाहिए ताकि वे ग्लोबल शिपिंग लाइंस की शुरुआत कर सकें। इससे ग्लोबल मार्केट में उपलब्ध मौकों का इस्तेमाल इंडियन कंपनियां उठा सकेंगी। एफआईईओ ने कहा है कि विदेश में मार्केटिंग पर होने वाले खर्च पर कंपनियों को 200 फीसदी टैक्स डिडक्शन की इजाजत देनी चाहिए। सरकार को इंडिया के हैंडीक्राफ्ट्स, नॉन-प्रेसेसियस ज्वेलरी, टेक्सटाइल, खादी और लेदर प्रोडक्ट्स को विदेश में नुमाइश को भी बढ़ावा देने के कदम बजट में उठाए जाने चाहिए।
अक्टूबर में घटा है निर्यात
इस साल अक्टूबर में इंडिया के निर्यात में 16.65 फीसदी की गिरावट आई। इस दौरान 29.78 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। इससे मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 26.92 अरब डॉलर पहुंच गया। ये आंकड़े कॉमर्स मिनिस्ट्री के हैं। अक्टूबर में निर्यात 56.69 अरब डॉलर रहा। सितंबर में यह 53.64 अरब डॉलर था। हालांकि, इस साल अप्रैल-अक्टूबर के दौरान एक्सपोर्ट 12.55 फीसदी बढ़कर 263.35 अरब डॉलर रहा। इस दौरान इंपोर्ट 33.12 फीसदी बढ़कर 436.81 अरब डॉलर रहा।