Budget 2023 FAQ: बजट में अक्सर इन 9 शब्दों का होता है इस्तेमाल, आसान भाषा में जानें इनका मतलब
Union Budget 2023: पूरा देश इस समय आगामी 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने का इंतजार करें। बजट को अच्छी तरह से समझने के लिए जरूरी है कि हम इससे जुड़ी कुछ खास शब्दावालियों को अच्छी तरह से जानें। जैसे- आम बजट क्या होता है? कैपिटल बजट (Capital Budget) क्या है? रेवेन्यू बजट क्या है? रेवेन्यू और फिस्कल पॉलिसी क्या होता है? राजकोषीय घाटा क्या होता है? सरकार को टैक्स के अलावा और कहां-कहां से कमाई होती है? आदि
Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी
Union Budget 2023-24: पूरा देश इस समय बजट पेश किए जाने का इंतजार करें। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह बजट हमें केंद्र सरकार के अगले एक साल के आर्थिक और वित्तीय लक्ष्यों को बताएगा। हालांकि बजट को अच्छी तरह से समझने के लिए जरूरी है कि हम इससे जुड़ी कुछ खास शब्दावालियों को अच्छी तरह से जानें। जैसे- आम बजट क्या होता है? कैपिटल बजट क्या है? रेवेन्यू बजट क्या है? रेवेन्यू और फिस्कल पॉलिसी क्या होता है? राजकोषीय घाटा क्या होता है? सरकार को टैक्स के अलावा और कहां-कहां से कमाई होती है? आदि। आइए यहां प्रश्न-उत्तर के जरिए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं-
आम बजट क्या है?
केंद्रीय बजट या यूनियन बजट (Union Budget) को साधारण बोलचाल की भाषा में आम बजट कहा जाता है। यह एक देश के रूप में भारत का सालाना रिपोर्ट होता है। इस रिपोर्ट में भारत सरकार एक वित्त वर्ष के दौरान अपनी होने वाली सभी आय और खर्च का ब्यौरा देती है। भारतीय वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च पर खत्म होता है। बजट सरकार के खजाने का सबसे व्यापक लेखा-जोखा होता है, जिसमें सभी स्रोतों से होने वाली आय और सभी गतिविधियों किए जाने वाले खर्त को एक जगह विस्तार से बताया जाता है। केंद्रीय बजट में ही राजस्व बजट और पूंजीगत बजट भी शामिल होता है। साथ ही इसमें अगले वित्त वर्ष के खर्च और आमदनी से जुड़े अनुमान भी शामिल होते हैं।
प्रत्यक्ष कर या डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) क्या होता है?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह वह कर है जो सरकार सीधे वसूलती है। किसी व्यक्ति या संस्थान की आय पर जो टैक्स लगते हैं, वो डायरेक्ट टैक्स कहलाता हैं। इनमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं।
इनकम टैक्स: यह वह टैक्स से होता से जो व्यकतियों से उनकी विभिन्न स्रोंतों से होने वाली आय पर वसूला जाता है। इसमें सैलरी या इनवेस्टमेंट पर ब्याज के जरिए हुए आय आदि शामिल होता है।
कॉरपोरेट टैक्स: कंपनियां या संस्थान से उनके मुनाफे पर जो टैक्स वसूला जाता है, उसे कॉरपोरेट टैक्स कहते हैं।
अप्रत्यक्ष कर या इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) क्या होता है?
किसी वस्तु या सेवा की कीमत पर लगाया जाने वाला टैक्स अप्रत्यक्ष कर या इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है। इस टैक्स को सरकार किसी व्यक्ति से सीधे नहीं वसलूती है। बल्कि इसे देश में बनने या बिकने वाले सभी वस्तुओं और सामानों की कीमत पर लगाया जाता है। जब कोई ग्राहक किसी वस्तु या सेवा को खरीदता है, तो वह उसकी कीमत के साथ इनडायरेक्ट टैक्स का भी भुगतान करता है। इनडायरेक्ट टैक्स के प्रकार में सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) से लेकर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) तक आते हैं। जीएसटी भी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स ही है।
कस्टम ड्यूटी: विदेशों से आयात होकर आने वाले वस्तुओं पर लगाए जाने वाले चार्ज को कस्टम ड्यूटी कहा जाता है। इसका भुगतान इंपोर्टर या एक्सपोर्ट करते हैं।
एक्साइज ड्यूटी: देश में ही तैयार वस्तुओं पर मैन्युफैक्चरर की ओर से दिए जाने जाने वाले टैक्स को एक्साइज ड्यूटी कहते हैं। आमतौर पर इसका भार ग्राहकों पर पड़ता है।
राजस्व बजट या रेवेन्यू बजट (Revenu Budget) क्या होता है?
बजट कई हिस्सो में बंटा होता है। बजट के जिस हिस्से में सरकार के विभिन्न स्रोतों से हासिल होने वाली आय (टैक्स और अन्य स्रोतों से) और उसपर होने वाले खर्चों का ब्यौरा होता है, उसे रेवेन्यू बजट कहते हैं। रेवेन्यू प्राप्तियां या रेवेन्यू के स्रोतों को भी दो भागों में बांटा जाता है। टैक्स रेवेन्यू और नॉन-टैक्स रेवेन्यू। टैक्स रेवेन्यू में विभिन्न टैक्स से होने वाली आय शामिल होती है, जिसमें इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, एक्साइज, कस्टम्स और सरकार की ओर से लगाए गए अन्य सेस और ड्यूटी आते हैं।
वहीं नॉन-टैक्स रेवेन्यू के स्रोतों में, लोन पर मिलने वाला ब्याज, सरकारी कंपनियों से मिलने वाला लाभांश और सरकार की ओर से दी जाने वाली दूसरी सेवाओं के बदले मिलने वाले फीस आदि शामिल होती है। वहीं सरकार के विभिन्न विभागों को रोजाना चलाने और उसकी ओर से नागरिकों को दी जाने वाले सेवाओं पर आने वाले खर्च को रेवेन्यू खर्च कहते हैं। इसके अलावा सरकार के कुछ अन्य खर्च भी होते हैं, जैसे- सब्सिडी और लिए गए कर्ज पर ब्याज का भुगतान आदि।
आमतौर पर राज्य सरकारों और विभिन्न संस्थाओं को दिए जाने वाले ग्रांट और जिस खर्च से किसी तरह की संपत्ति का निर्माण नहीं होता, उसके रेवेन्यू खर्च कहते हैं।
राजस्व घाटा या रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit) क्या होता है?
सरकार हर साल अपने रेवेन्यू और खर्च का लक्ष्य तय करती है। अगर रेवेन्यू उम्मीद से कम होती है तो इसे रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit) यानी राजस्व घाटा कहते हैं। इसका मतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष के दौरान ज्यादा तेजी से खर्च किया। दूसरे शब्दों में सरकार ने जरूरी खर्च के बराबर कमाई नहीं की। विनिवेश यानी निजीकरण का फैसला रेवेन्यू डेफिसिट पर बहुत हद तक निर्भर करता है।
पूंजी बजट या कैपिटल बजट (Capital Budget) क्या होता है?
कैपिटल बजट, रेवेन्यू बजट से अलग होता है और इसमें लंबी-अवधि वाले घटक शामिल होते हैं। कैपिटल बजट में सरकार को विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली पूंजी (पूंजी प्राप्तियां) और उसका भुगतान शामिल होता हैं। पूंजी प्राप्तियों में जनता से सरकार का लिया हुआ कर्ज, रिजर्व बैंक से लिया गया कर्ज, ट्रेजरी बिल, विदेशी संस्थाओं और सरकारों से लिया गया लोन, सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी का विनिवेश, स्मॉल सेविंग्स की जमा सिक्योरिटीज, प्रोविडेंट फंड्स और स्पेशल डिपॉजिट्स आदि आते हैं।
वहीं जमीन, बिल्डिंग, मशीनरी और उपकरणों जैसी संपत्तियों को खरीदने पर होने वाले पूंजी खर्च को पूंजी भुगतान या कैपिटल पेमेंट्स कहा जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न राज्यों और सरकारी संस्थाओं को एडवांस के तौर पर दिया जाने वाला ग्रांट भी इसी में आता है।
राजकोषीय बजट या फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) क्या होता है?
सरल और सीधे शब्दों में कहें तो यह सरकार के खर्च और कमाई के बीच का अंतर है। अगर खर्चे सरकार की कमाई से अधिक हो जाते हैं तो उसे फिस्कल डेफिसिट या राजकोषीय घाटा कहते हैं।
फिस्कल पॉलिसी (Fiscal Policy) या राजकोषीय नीतिक क्या होती है?
सरकार किस तरह खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा, इसमें उसका खाका खींचा जाता है। इसमें सरकार के टैक्सेशन, सार्वजनिक कर्ज और सार्वजनिक व्यय से जुड़े फैसलों का उल्लेख होता है। अच्छी फिस्कल पॉलिसी महंगाई को काबू में करने के लिहाज से खासी अहम होती है।