Union Budget 2023: ग्रोथ और रिफॉर्म्स पर निर्मला सीतारमण का फोकस बना रहेगा, LIC MF के अमित नाडेकर ने जताई उम्मीद

Union Budget 2023: अमित नाडेकर का मानना है कि ग्रोथ के साथ ही सरकार का फोकस अपनी वित्तीय स्थिति को ठीक करने पर बढ़ने की उम्मीद है। सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक राजकोषीय घाटे के 4.5 फीसदी के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करेगी

अपडेटेड Dec 27, 2022 पर 10:55 AM
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नाडेकर ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार के पूंजीगत खर्च में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। उम्मीद है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में भी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकार का फोकस बना रहेगा।

Union Budget 2023: केंद्र सरकार के अगले यूनियन बजट में सरकार का फोकस ग्रोथ और रिफॉर्म्स पर बने रहने की उम्मीद है। LIC Mutual Fund Asset Management के फंड मैनेजर अमित नाडेकर ने कहा है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण का फोकस ग्रोथ और रिफॉर्म्स पर बना रहेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि राजनीतिक मकसद को ध्यान में रख बजट में बड़े ऐलान की परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है। सरकार बजट के बाहर भी ग्रोथ और रिफॉर्म्स के बड़े उपायों का ऐलान करती रहती है। निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट (Budget 2023) पेश करेंगी। मनीकंट्रोल से बातचीत में नाडेकर ने इकोनॉमी की सेहत और बढ़ते इंटरेस्ट रेट से जुड़े मसलों पर भी खुलकर चर्चा की।

सरकार अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने पर फोकस बढ़ाएगी

सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ाने के बारे में नाडेकर ने कहा कि बीते कुछ सालों में सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। इसलिए हमें अगले साल भी सरकार का पूंजीगत खर्च ज्यादा रहने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार अपनी वित्तीय स्थिति ठीक करने पर भी फोकस बढ़ाएगी। सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट के 4.5 फीसदी के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करेगी।


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इनपुट और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बढ़ने का असर कंपनियों के मार्जिन पर पड़ा है

स्टॉक मार्केट्स के 2023 में प्रदर्शन कैसा रहेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाजार के लिए मुश्किलें अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। 2023 स्टॉक मार्केट के लिए 2022 के मुकाबले बेहतर रहेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भरत करता है कि डिमांड की स्थिति कैसी रहती है। साथ ही ऑपरेटिंग मार्जिन को सामान्य स्तर पर लाने की कंपनियों की कोशिश कितनी कामयाब रहती है। पिछले कुछ समय से इनपुट और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बढ़ने से कंपनियों के ऑपरेटिंग मार्जिन पर बहुत असर पड़ा है।

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इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अच्छी बनी रहेगी

नाडेकर ने कहा कि जहां तक स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव का सवाल है तो यह बाजार का स्वभाव है। हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। हमें इंडिया की लॉन्ग टर्म ग्रोथ में भरोसा है। इसलिए इनवेस्टर्स को इंडिया की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी का फायदा उठाने के लिए SIP के जरिए शेयरों में अपना निवेस बनाए रखना चाहिए। बाजार में निवेश के लिए सही मौके का पता लगाना मुमकिन नहीं है। लेकिन अगर निवेशक अच्छी ग्रोथ और बेहतर मैनेजमेंट वाली कंपनियों में अपना निवेश बनाए रखते हैं तो वेल्थ क्रिएशन होना तय है।

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