Interim Budget 2024 : इंडिया की बढ़ती इकोनॉमी और वैश्विक स्तर पर बढ़ती भूमिका को देखते हुए टैक्स पॉलिसी में बदलाव करने की जरूरत है। घरेलू और विदेशी टैक्सपेयर्स की कारोबारी जरूरतों को ध्यान में रख इस काम को अंजाम दिया जा सकता है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में टैक्स रीजीम को आसान बनाने के कदम उठाए हैं। ईज ऑफ कंप्लायंस और कई तरह के टैक्स इनसेंटिव के जरिए बिजनेसेज और इंडिविजुअल्स को प्रोत्साहित किया गया गया है। आम लोगों को 1 फरवरी को पेश होने वाले Interim Budget से काफी उम्मीदें हैं। खासकर उन्हें टैक्स के नियमों और कंप्लायंस को आसान बनाए जाने की उम्मीद है। इससे ज्यादा टैक्सपेयर्स टैक्सनेटवर्क के दायरे में आएंगे। इससे टैक्स बेस बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही टैक्स डिपार्टमेंट पर एडमिनिस्ट्रेशन का बोझ भी घटेगा।
बजट 2024 में टैक्स के नियम आसान बनाने के हो सकते हैं ऐलान
सरकार ने इंडिविजुअल टैक्स रीजीम को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कम टैक्स रेट वाली नई टैक्स रीजीम शुरू की गई है। नई टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को इनवेस्टमेंट और एक्सपेंसेज से जुड़े डॉक्युमेंट्स मेंटेन करने की जरूरत नहीं है। नई टैक्स रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाकर सालाना 3 लाख रुपये की गई है। इसमें 7 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर रिबेट भी दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स की लायबिलिटी जीरो हो जाती है।
दूसरे देशों के टैक्स नियमों को ध्यान में रख प्रोविजंस में बदलाव करने होंगे
पहले इनकम पर टैक्स लगाने और उसके बाद उस पर रिबेट देने के तरीको को आसान बनाया जा सकता है। इससे ईज ऑफ कंप्लायंस बढ़ेगा। नई टैक्स रीजीम में टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए टैक्स स्लैब का विस्तार किया जा सकता है। इससे एवरेज इफेक्टिव टैक्स रेट डिडक्शन और एग्जेम्प्शन वाली पुरानी रीजीम के मुकाबले कम रह जाएगा। इंडिया में विदेशी निवेश बढ़ने से कैपिटल एसेट में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। अभी कैपिटल गेंस टैक्स के नियम बहुत जटिल हैं। अलग-अलग एसेट के लिए अलग-अलग रेट हैं। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बनाना बहुत जरूरी है।
विदेशी इनकम दिखाने वाले रेजिडेंट्स को रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग के लिए ज्यादा समय मिले
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और आईटीआर की जल्द प्रोसेसिंग से काफी फायदा हुआ है। बजट 2021 में बिलेटेड/रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न फाइलिंग की समयसीमा तीन महीने घटा दी गई। लेकिन, विदेशी इनकम दिखाने वाले रेजिडेंट्स को रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के लिए ज्यादा समय दिया जाना चाहिए। कई मामलों में रेजिडेंट इंडियंस को विदेश में हुई इनकम पर इंडिया में भी टैक्स चुकाने की जरूरत पड़ती है। अभी इंडिया में इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समयसीमा 31 जुलाई है। यह तारीख दूसरे देशों की टैक्स फाइलिंग डेडलाइन से मेल नहीं खाती है।