Credit Cards

What is Angel Tax: स्टार्टअप की 12 साल पुरानी मांग पूरी, वित्त मंत्री ने खत्म कर दिया एंजेल टैक्स, समझें क्या हो रही थी दिक्कत?

Angel Tax abolished: एंजेल टैक्स को करीब 12 साल पहले लाया गया था। तब से ही इसे हटाने की मांग हो रही थी। 2019 में इससे जुड़ी कुछ राहत मिली तो थी लेकिन इसे पूरी तरह से हटाने की मांग हो रही थी। जानिए एंजेल टैक्स क्या है और इससे दिक्कत क्या हो रही थी? इसके अलावा जानिए कि वर्ष 2019 में कैसी राहत मिली थी?

अपडेटेड Jul 23, 2024 पर 2:08 PM
Story continues below Advertisement
What is Angel Tax: जब कोई गैर-लिस्टेड स्टार्टअप किसी निवेशक से पैसे जुटाती है तो फेयर वैल्यू से जितना अधिक फंड मिलता था, अब तक इस पर टैक्स देनदारी बनती थी। यही एंजेल टैक्स है।

What is Angel Tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। इस बजट में वित्त मंत्री ने स्टार्टअप्स की बड़ी मांग को पूरा किया है और एंजेल टैक्स को समाप्त कर दिया गया है। अब सवाल ये उठता है कि एंजेल टैक्स क्या है और इसे हटाने की मांग क्यों हो रही थी? इसके अलावा इस टैक्स को लाया क्यों गया था और अब इसे हटाने से क्या फायदा मिलेगा? इन सभी सवालों के जवाब यहां एक-एक करके दिए जा रहे हैं।

क्या है एंजेल टैक्स? क्यों हटाने की थी मांग?

जब कोई गैर-लिस्टेड स्टार्टअप किसी निवेशक से पैसे जुटाती है तो फेयर वैल्यू से जितना अधिक फंड मिलता था, अब तक इस पर टैक्स देनदारी बनती थी। यही एंजेल टैक्स है। इसे एक उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। मान लेते हैं कि कोई स्टार्टअप है जिसने 10 हजार रुपये के भाव पर किसी भारतीय निवेशक को 1 लाख शेयर जारी किए हैं और इसके जरिए 100 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अब मान लेते हैं कि जो शेयर जारी हुए हैं, उनकी फेयर मार्केट वैल्यू 70 करोड़ रुपये ही है तो स्टार्टअप जो जो एक्स्ट्रा पैसे यानी 30 करोड़ रुपये (100 करोड़-70 करोड़ रुपये) मिले हैं, उस पर टैक्स देना होगा। इस पर 30.9 फीसदी की दर से 9.27 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी बनेगी। इससे समझ सकते हैं कि स्टार्टअप जो अपना कारोबार शुरू ही कर रही है, उसे टैक्स के रूप में बड़ा झटका लगता था। कंपनियां इसलिए भी अपने फेयर मार्केट वैल्यू से अधिक फंड जुटाने में संभव हो जाती हैं क्योंकि मार्केट में उनका क्रेज अच्छा है और उनके कारोबार में ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। पहले यह सिर्फ भारतीय निवेशकों के निवेश पर लगता था लेकिन फिर वित्त अधिनियम 2023 के जरिए इसमें विदेशी निवेशकों को भी शामिल कर लिया गया।


सरकार क्यों लेकर आई थी Angel Tax का सिस्टम?

एंजेल टैक्स के सिस्टम को वर्ष 2012 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेश किया था इसको इसलिए लाया गया था ताकि काले धन को ऐसे निवेश के जरिये सफेद न बनाया जा सके। हालांकि लागू होने के बाद से ही इस टैक्स का विरोध शुरू होने लगा था। अब वित्त वर्ष 2025 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंजेल टैक्स को समाप्त करने का ऐलान कर दिया। इससे पहले भी वर्ष 2019 में वित्त मंत्रालय ने एक ऐलान के जरिए DPIIT (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड) के तहत रजिस्टर्ड एंजेल टैक्स से मुक्त कर दिया गया था।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।