RBI EMI Rule: अक्सर आपने देखा होगा की लोग EMI पर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स तो खरीद लेते हैं लेकिन उसका लोन चुकता नहीं करते हैं। जिससे कर्जा वसूली के लिए बैंक कर्मचारियों को परेशान होना पड़ता है। इसी को दखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक नया और सख्त नियम लाने जा रहा है। जिसका उद्देश्य मोबाइल, टीवी, वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स के लिए छोटे कर्जों की वसूली को आसान बनाना है। बता दें कि RBI ने इस विषय को लेकर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से चर्चा भी की है।
फाइनेंस एक्सपर्ट आदिल शेट्टी ने कहा कि रिजर्व बैंक को एक खास पहलू पर भी गौर करने की जरूरत होगी। फोन, लैपटॉप या इस तरह की अन्य चीजें खरीदने के लिए मिलने वाला कर्ज कोलेटरल-फ्री होता है। यानी इनके बदले ग्राहक की कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखनी पड़ती। इनकी ब्याज दर 14-16% ही होती है। ऐसे में यदि नई व्यवस्था लागू होती है तो ये कर्ज सुरक्षित लोन (जैसे होम, ऑटो लीन) की कैटेगरी में आएंगे। ऐसे में बैंकों को ये अधिकार देने से पहले ऐसे लोन की कैटेगरी बदलनी होगी और ब्याज दरें भी घटानी होंगी।
5 ऐसे पॉइंट्स जो आपके लिए बेहद जरूरी हो सकते हैं
अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे सिस्टम हैं कि EMI न भरने पर कार स्टार्ट नहीं हो सकती।
कनाडाः अमेरिका में कई कंपनियां कार लोन के दौरान वाहनों में ‘स्टार्टर इंटरप्ट डिवाइस’ नामक तकनीक लगाती हैं। यह एक ऐसा सिस्टम है, जो वाहन के स्टार्टिंग मैकेनिज़्म से जुड़ा होता है। यदि ग्राहक समय पर अपनी EMI या किस्त का भुगतान नहीं करता, तो कर्जदाता इस डिवाइस के जरिए गाड़ी को दूर से ही लॉक कर देता है।
अफ्रीका (केन्या, नाइजीरिया आदि): यहां 'पे-एज-यू-गो' सोलर सिस्टम आम है। EMI न भरने पर कंपनी रिमोटली सोलर पैनल या बैटरी को बंद कर देती है। जैसे ही किस्त भर दी जाती है वैसे ही सिस्टम को चालू कर दिया जाता है।
फायदा: डिफॉल्ट और फॉड जैसे केस घट जाते हैं। कर्जदाताओं का भरोसा बढ़ता है और कमजोर क्रेडिट वाले लोगों को भी प्रोडक्ट खरीदने का मौका मिलता है।
नुकसान: इस नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ता अधिकार पर खतरा बढ़ सकता है, जरूरत की सेवाएं (फोन/कार) बंद होने से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
एक-तिहाई से ज्यादा लोग EMI पर खरीदते हैं इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स
देश में छोटे कर्ज का हिस्सा बढ़ते ही जा रहा है। होम क्रेडिट फाइनेंस की 2024 की स्टडी के मुताबिक, एक-तिहाई से अधिक उपभोक्ता, इलेक्ट्रॉनिक्स खासकर मोबाइल फोन EMI पर खरीदते हैं। फिलहाल देश में 1.16 अरब से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन हैं। CRIF हाईमार्क के अनुसार, 1 लाख रुपये से कम के लोन में डिफॉल्ट दर सबसे अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ यह स्थिति सुधर सकती है।