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RBI EMI Rule: RBI लाएगा नया नियम, EMI न चुकाने पर फोन-टीवी हो जाएंगे बंद, कई देशों में पहले से यह व्यवस्था है लागू

RBI EMI Rule: RBI जिस व्यवस्था पर विचार कर रहा है, वह मुख्य रूप से छोटे उपभोक्ता लोन (जैसे मोबाइल, स्मार्ट टीवी, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर लागू होगी। EMI पर खरीदे प्रोडक्ट में पहले से एप या सॉफ्टवेयर डालेंगे। ग्राहक किस्त नहीं चुकाता, तो उस सॉफ्टवेयर से वह प्रोडक्ट दूर से ही लॉक कर दिया जाएगा।

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 10:44 AM
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RBI EMI rule: RBI लाएगा नया नियम, EMI न चुकाने पर फोन-टीवी हो जाएंगे बंद

RBI EMI Rule: अक्सर आपने देखा होगा की लोग EMI पर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स तो खरीद लेते हैं लेकिन उसका लोन चुकता नहीं करते हैं। जिससे कर्जा वसूली के लिए बैंक कर्मचारियों को परेशान होना पड़ता है। इसी को दखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक नया और सख्त नियम लाने जा रहा है। जिसका उद्देश्य मोबाइल, टीवी, वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स के लिए छोटे कर्जों की वसूली को आसान बनाना है। बता दें कि RBI ने इस विषय को लेकर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से चर्चा भी की है।

फाइनेंस एक्सपर्ट आदिल शेट्टी ने कहा कि रिजर्व बैंक को एक खास पहलू पर भी गौर करने की जरूरत होगी। फोन, लैपटॉप या इस तरह की अन्य चीजें खरीदने के लिए मिलने वाला कर्ज कोलेटरल-फ्री होता है। यानी इनके बदले ग्राहक की कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखनी पड़ती। इनकी ब्याज दर 14-16% ही होती है। ऐसे में यदि नई व्यवस्था लागू होती है तो ये कर्ज सुरक्षित लोन (जैसे होम, ऑटो लीन) की कैटेगरी में आएंगे। ऐसे में बैंकों को ये अधिकार देने से पहले ऐसे लोन की कैटेगरी बदलनी होगी और ब्याज दरें भी घटानी होंगी।

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अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे सिस्टम हैं कि EMI न भरने पर कार स्टार्ट नहीं हो सकती।

  1. यहां कैसे लागू किया जाएगा? RBI जिस व्यवस्था पर विचार कर रहा है, वह मुख्य रूप से छोटे उपभोक्ता लोन (जैसे मोबाइल, स्मार्ट टीवी, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर लागू होगी। इस नई व्यवस्था के तहत EMI पर खरीदे गए प्रोडक्ट में पहले से ऐसा ऐप या सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होगा कि जो ग्राहक किस्त नहीं चुकाता, तो उस सॉफ्टवेयर से वह प्रोडक्ट दूर से ही लॉक कर दिया जाएगा।
  2. क्या निजी डेटा को खतरा है? नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहक की पूर्व सहमति ली जाए और फोन लॉक होने पर भी उसका निजी डेटा सुरक्षित रहे। यानी यहां 'सेवाएं बंद' करने का मतलब है कि फोन (या डिवाइस) इस्तेमाल योग्य न रहे, जब तक बकाया चुकता न हो। यदि इन्हें लॉक करने की अनुमति बैंकों को दे दी जाती है तो उन्हें लाखों लोगों के डेटा का एक्सेस मिल जाएगा। ये डेटा वहां से लीक हो सकते हैं। इससे ब्लैकमेलिंग और फिरौती की घटनाएं बढ़ सकती हैं। RBI और बैंकों को इस पहलू पर गौर करना पड़ेगा।
  3. क्या हर प्रोडक्ट में संभव है? डिजिटल और स्मार्ट डिवाइस मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी आदि में यह आसानी से संभव है, क्योंकि इनके सॉफ्टवेयर को कहीं से भी कंट्रोल किया जा सकता है। बाहर के कई देशों के वाहन (कार/बाइक) में पहले से ऐसा सिस्टम है, जिससे EMI न भरने पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती। घरेलू उपकरण (फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि) में भी यह संभव है, लेकिन भारत जैसे बाजार में अभी कम है। गैर-डिजिटल वस्तुओं (जैसे फर्नीचर, साधारण बाइक) में यह उपाय नहीं चलता है। ऐसे में पारंपरिक रिकवरी एजेंट लीगल एक्शन रास्ता होता है।
  4. कौन-से देश क्या कर रहे हैं? अमेरिकाः कार लोन में 'किल स्विच तकनीक का इस्तेमाल होता है। EMI न चुकाने पर कर्जदाता कार को दूर से ही बंद कर सकता है।

कनाडाः अमेरिका में कई कंपनियां कार लोन के दौरान वाहनों में ‘स्टार्टर इंटरप्ट डिवाइस’ नामक तकनीक लगाती हैं। यह एक ऐसा सिस्टम है, जो वाहन के स्टार्टिंग मैकेनिज़्म से जुड़ा होता है। यदि ग्राहक समय पर अपनी EMI या किस्त का भुगतान नहीं करता, तो कर्जदाता इस डिवाइस के जरिए गाड़ी को दूर से ही लॉक कर देता है।

अफ्रीका (केन्या, नाइजीरिया आदि): यहां 'पे-एज-यू-गो' सोलर सिस्टम आम है। EMI न भरने पर कंपनी रिमोटली सोलर पैनल या बैटरी को बंद कर देती है। जैसे ही किस्त भर दी जाती है वैसे ही सिस्टम को चालू कर दिया जाता है।

  1. इससे होने वाले फायदे-नुकसान?

फायदा: डिफॉल्ट और फॉड जैसे केस घट जाते हैं। कर्जदाताओं का भरोसा बढ़ता है और कमजोर क्रेडिट वाले लोगों को भी प्रोडक्ट खरीदने का मौका मिलता है।

नुकसान: इस नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ता अधिकार पर खतरा बढ़ सकता है, जरूरत की सेवाएं (फोन/कार) बंद होने से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

एक-तिहाई से ज्यादा लोग EMI पर खरीदते हैं इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स

देश में छोटे कर्ज का हिस्सा बढ़ते ही जा रहा है। होम क्रेडिट फाइनेंस की 2024 की स्टडी के मुताबिक, एक-तिहाई से अधिक उपभोक्ता, इलेक्ट्रॉनिक्स खासकर मोबाइल फोन EMI पर खरीदते हैं। फिलहाल देश में 1.16 अरब से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन हैं। CRIF हाईमार्क के अनुसार, 1 लाख रुपये से कम के लोन में डिफॉल्ट दर सबसे अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ यह स्थिति सुधर सकती है।

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