चीन की एक ना और पूरी दुनिया में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स की बढ़ गई टेंशन, यूरोप में कुछ ऑटो पार्ट्स प्लांट बंद
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर चीन की पाबंदियां जारी रहीं, तो ग्लोबल EV ट्रांजिशन को तगड़ा झटका लगेगा। कच्चे माल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे गाड़ियों के दाम में भी इजाफा हो सकता है। भारत में Bajaj Auto और TVS Motor जैसी बड़ी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर यह संकट बना रहा तो उनका EV का प्रोडक्शन जुलाई से पूरी तरह ठप हो सकता है
रेयर अर्थ्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर्स, गाड़ियों के इंजन, बैटरियों और कई डिफेंस सिस्टम्स में होता है।
यूरोप में ऑटो पार्ट्स बनाने वाले कुछ कारखानों ने प्रोडक्शन रोक दिया है। वजह है चीन की ओर से पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों (Rare Earths) के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध। इन प्रतिबंधों के कारण दुनियाभर में नुकसान की चिंता बढ़ रही है। मर्सिडीज-बेंज ने तो इन खनिजों की कमी से बचने के लिए उपायों पर विचार करना शुरू भी कर दिया है। रॉयटर्स के मुताबिक, चीन ने इस साल अप्रैल में पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों और उनसे जुड़े मैग्नेट्स के निर्यात को सस्पेंड कर दिया। इससे ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स, एयरोस्पेस सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स, सेमीकंडक्टर कंपनियों और सैन्य ठेकेदारों की सप्लाई चेन बाधित हो गईं।
वैसे तो चीन की ओर से यह घोषणा अप्रैल में उस वक्त की गई थी, जब अमेरिका की ओर से चीन पर नए अतिरिक्त रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए गए थे। लेकिन हाल ही में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुए समझौते के तहत अमेरिका ने चीन के सामानों के लिए 2 अप्रैल को घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ के मामले में 90 दिनों के लिए दर को 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने की सहमति जताई थी। बदले में चीन ने भी 90 दिनों के लिए अमेरिकी सामान पर टैरिफ को घटाकर 10 प्रतिशत करने की रजामंदी दी थी।
लेकिन रेयर अर्थ्स के निर्यात पर प्रतिबंध जस के तस बने हुए हैं। ताजा अपडेट यह है कि चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि रेयर अर्थ्स के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध की पॉलिसी इंटरनेशनल प्रैक्टिस के अनुरूप है। इसका मतलब तो यही निकलता है कि चीन इस प्रतिबंध में ढील देने के मूड में नहीं है।
कितने काम के हैं रेयर अर्थ्स और चीन में कितना उत्पादन
रेयर अर्थ्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर्स, गाड़ियों के इंजन, बैटरियों और कई डिफेंस सिस्टम्स में होता है।इनके बिना ईवी और हाई-टेक ऑटोमोबाइल्स बनाना मुश्किल है। चीन का महत्वपूर्ण खनिज उद्योग में दबदबा है। इसे अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में चीन का अहम हथियार माना जा रहा है। पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों के पूरी दुनिया में उत्पादन का लगभग 90% चीन में होता है। यही वजह है कि चीन की एक ना, दुनिया भर के ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स के लिए चिंता का विषय बन गई है।
यूरोप और अमेरिका में हाल
यूरोप की ऑटो सप्लायर एसोसिएशन CLEPA ने कहा कि कई प्रोडक्शन लाइंस ने रेयर अर्थ्स की सप्लाई खत्म होने के कारण काम बंद कर दिया है। ब्रसेल्स ने यूरोप के बाहर धातुओं और खनिजों की सप्लाई बढ़ाने के लिए 13 नए प्रोजेक्ट्स की पहचान की है। रॉयटर्स के मुताबिक, फोर्ड की फाइनेंस चीफ शैरी हाउस ने एक इनवेस्टर कॉन्फ्रेंस में कहा, "चीन का यह प्रतिबंध एक ऐसी प्रणाली पर दबाव डालता है जो बहुत संगठित है और जिसमें पार्ट्स कई हफ्ते पहले ऑर्डर किए जाते हैं। हम इसे संभाल रहे हैं। यह समस्या बनी हुई है और हम इसे सुलझाने के लिए काम जारी रखेंगे।"
बुधवार को मर्सिडीज-बेंज के उत्पादन प्रमुख जोर्ग बर्जर ने कहा कि वे सप्लाई की संभावित बाधाओं से बचने के लिए टॉप सप्लायर्स से बफर यानि भंडार बनाने पर चर्चा कर रहे हैं। मर्सिडीज फिलहाल कमी से प्रभावित नहीं है। BMW ने कहा कि उसके कुछ सप्लायर नेटवर्क में बाधा आई है, लेकिन उसके अपने कारखाने सामान्य रूप से चल रहे हैं। जर्मन और अमेरिकी ऑटो मेकर्स ने कहा है कि चीन के प्रतिबंध उत्पादन को खतरे में डाल रहे हैं। भारत से भी इस तरह की शिकायत की जाने लगी है। यह स्थिति COVID-19 महामारी के दौरान कंप्यूटर चिप्स की कमी जैसी हो सकती है, जिसने लाखों व्हीकल्स के उत्पादन को प्रभावित किया था।
जर्मनी के इलेक्ट्रिकल और डिजिटल इंडस्ट्री एसोसिएशन ZVEI के सीईओ वोल्फगैंग वेबर के मुताबिक, कई कंपनियां अपनी-अपनी सरकारों से जल्दी समाधान निकालने की अपील कर रही हैं, लेकिन कुछ कंपनियों के पास केवल कुछ सप्ताह या महीनों के लिए ही सप्लाई बची है।
दुनिया में एयरबैग और सीटबेल्ट की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर स्वीडन की ऑटोलिव ने कहा है कि उसकी गतिविधियां प्रभावित नहीं हुई हैं। लेकिन सीईओ मिकाएल ब्रैट का कहना है कि उन्होंने स्थिति को संभालने के लिए एक टास्क फोर्स बना दी है।
भारत और जापान की स्थिति भी हुई खराब
Bajaj Auto और TVS Motor जैसी बड़ी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर यह संकट बना रहा तो उनका EV का प्रोडक्शन जुलाई से पूरी तरह ठप हो सकता है। जापान की कंपनी Nissan ने कहा है कि वह अपनी सरकार के साथ मिलकर स्थिति से निपटने के उपाय तलाश रही है। Nissan के CEO इवान एस्पिनोसा का कहना है कि भविष्य के लिए वैकल्पिक सप्लाई सोर्स खोजने होंगे और फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखनी होगी।
रेयर अर्थ्स को लेकर चीन के अलावा विकल्प बहुत कम हैं। जनरल मोटर्स से लेकर BMW और बड़े सप्लायर जैसे ZF और BorgWarner, चीन पर निर्भरता कम करने के लिए बिना रेयर अर्थ्स के इस्तेमाल वाले या कम इस्तेमाल वाले मोटर व्हीकल विकसित कर रहे हैं। BMW अपनी नई इलेक्ट्रिक कारों के लिए मैग्नेट-रहित इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन विंडशील्ड वाइपर या कार की खिड़की के रोलर जैसे कंपोनेंट्स को पावर देने वाली छोटी मोटरों के लिए अभी भी रेयर अर्थ्स की जरूरत है।