भारत का एक और क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX साइबर अटैक का शिकार हो गया है। हमला इसके इंटर्नल ऑपरेशनल अकाउंट्स में से एक पर हुआ। इन अकाउंट्स का इस्तेमाल लिक्विडिटी प्रोविजनिंग के लिए किया जाता है। साइबर अटैक के तहत अकाउंट से 4.42 करोड़ डॉलर निकाले गए। CoinDCX भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज है। इससे पहले क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX पर साइबर अटैक हुआ था।
CoinDCX के को-फाउंडर और CEO सुमित गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के जरिए साइबर हमले को कनफर्म किया है। उन्होंने कहा, "आज हमारे एक इंटर्नल ऑपरेशनल अकाउंट, जिसका इस्तेमाल एक पार्टनर एक्सचेंज पर नकदी की व्यवस्था के लिए किया जाता है, में एक सर्वर ब्रीच के कारण सेंधमारी हुई। मैं पुष्टि करता हूं कि कस्टमर एसेट्स को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले CoinDCX वॉलेट प्रभावित नहीं हुए हैं और पूरी तरह से सुरक्षित हैं।"
मेन एसेट्स एक सुरक्षित कोल्ड वॉलेट इंफ्रास्ट्रक्चर में सेफ
आगे कहा कि किसी भी ग्राहक के फंड प्रभावित नहीं हुए हैं और उनके एसेट्स एक सुरक्षित कोल्ड वॉलेट इंफ्रास्ट्रक्चर में पूरी तरह सेफ हैं। सभी ट्रेडिंग गतिविधियां और रुपये की निकासी पूरी तरह से चालू है। गुप्ता ने बताया कि साइबर अटैक से प्रभावित ऑपरेशनल अकाउंट को अलग करके घटना को तुरंत नियंत्रित कर लिया गया। हमारे ऑपरेशनल अकाउंट कस्टमर वॉलेट से अलग हैं, इसलिए जोखिम केवल इसी खास खाते तक सीमित है। यह भी कहा कि इस पूरे नुकसान को CoinDCX खुद के ट्रेजरी रिजर्व से वहन कर रहा है। कस्टमर फंड पर कोई असर नहीं होगा।
इंटर्नल सिक्योरिटी और ऑपरेशंस टीम्स प्रमुख साइबर सिक्योरिटी पार्टनर्स के साथ मिलकर मामले की जांच करने, किसी भी कमजोरी (Vulnerabilities) को दूर करने और फंड की आवाजाही का पता लगाने के लिए काम कर रही हैं।
पोस्ट में लिखा है, 'हम एक्सचेंज पार्टनर के साथ मिलकर एसेट्स को ब्लॉक और रिकवर करने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें जल्द ही एक बग बाउंटी प्रोग्राम लाना भी शामिल है। हर सिक्योरिटी इंसीडेंट एक सीख है और हम इससे सीखेंगे और अपने प्लेटफॉर्म को और मजबूत करेंगे।'
WazirX पर पिछले साल हुआ था अटैक
देश के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX पर 18 जुलाई 2024 को साइबर अटैक हुआ था। इसके चलते इसके ईथेरियम वॉलेट से 23.5 करोड़ डॉलर की चोरी हो गई। हैक में एक्सचेंज ने अपने होल्डिंग एसेट्स का लगभग 45 प्रतिशत खो दिया। हमले के पीछे उत्तर कोरिया का एक हैकिंग संगठन Lazarus Group था। इसे लेकर अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने 14 जनवरी 2025 को एक संयुक्त बयान जारी किया था।