टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और भारतीय IT/ITES सेक्टर में अवैध छंटनी को रोकने के लिए सरकार से तुरंत दखल देने की अपील की गई है। यह अपील लोकसभा सांसद और लेबर, टेक्सटाइल और स्किल डेवलपमेंट संबंधी स्थायी समिति के सदस्य राजा राम सिंह ने की है। उन्होंने श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को 1 अक्टूबर, 2025 को एक लेटर लिखा। है। इसमें सिंह ने बड़े पैमाने पर छंटनी को लेकर चिंता जताई है।
टीसीएस में छंटनी के तहत एक साल में लगभग 12000 कर्मचारियों की नौकरी जाने वाली है। छंटनी का असर वर्कफोर्स के 2 प्रतिशत तक सीमित है। सिंह का मानना है कि हकीकत में आंकड़ा कहीं अधिक मालूम होता है। सांसद ने टीसीएस के इस तर्क को सीधी चुनौती दी कि छंटनी "स्किल मिसमैच" के कारण हो रही है।
उन्होंने कंपनी की वित्त वर्ष 2024-25 की सालाना रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 91 प्रतिशत कर्मचारियों को स्किल-अपग्रेडेशन ट्रेनिंग नहीं मिली है। सिंह का तर्क है कि ये जॉब कट ग्लोबल एंप्लॉयमेंट पॉलिसी के किसी भी कीमत पर विकास से किसी भी कीमत पर प्रॉफिट की ओर शिफ्ट होने का हिस्सा है।
श्रम कानून का हो रहा उल्लंघन
सिंह के लेटर में आईटी सेक्टर में श्रम कानूनों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन का जिक्र किया गया है। कहा गया है कि औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act), 1947 बड़ी कंपनियों/ग्रुप्स में छंटनी के लिए सरकार की पहले से इजाजत लिया जाना अनिवार्य करता है। सिंह का दावा है कि किसी भी आईटी कंपनी ने इसका पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने IT/ITEs फर्म्स को औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम से छूट दी हुई है। इसका बहुत ज्यादा गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसके कारण अनिवार्य ग्रीवांस रिड्रेसल और रिपोर्टिंग रिक्वायरमेंट्स की अनदेखी हुई।
कर्मचारियों के उत्पीड़न का भी किया जिक्र
लेटर में कहा गया है कि अकेले 2024 में 1.5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की गई, जो पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। सांसद ने उत्पीड़न और उत्पीड़न के कथित मामलों की ओर भी ध्यान खींचा, जिनमें बिना किसी मुआवजे या रिलीविंग लेटर के बर्खास्तगी की धमकी देकर कर्मचारियों को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर करना शामिल है। IT & ITES डेमोक्रेटिक एंप्लॉयीज एसोसिएशन (IIDEA), सिंह की चिंताओं से सहमत है। अपने बयान में IIDEA ने बड़े पैमाने पर छंटनी की निंदा करते हुए इसे एक जबरदस्ती का और गैरकानूनी काम करार दिया है।
छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों को क्या दे रही TCS
TCS छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों को आकर्षक सेवरेंस पैकेज (नौकरी छोड़ने पर मिलने वाला मुआवजा) ऑफर कर रही है। कंपनी ऐसे कर्मचारियों को जिनके स्किल्स अब बदलती तकनीक और कंपनी की जरूरतों से मेल नहीं खा रही हैं, उन्हें 6 महीने से लेकर अधिकतम 2 साल तक की सैलरी को सेवरेंस पैकेज के रूप में दे रही है। कंपनी का मानना है कि तकनीकी बदलाव और ऑटोमेशन के इस दौर में कंपनी को चुस्त और भविष्य के लिए तैयार बनाए रखने के लिए छंटनी जरूरी है।