देश का चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर 23.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह देश की GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का 2.8 फीसद है। चालू खाते का घाटा (CAD) के बढ़ने के पीछे मुख्य वजह देश के व्यापार घाटे में बढ़ोतरी रही।
वहीं पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में देश का चालू खाते का सरप्लस 6.6 अरब डॉलर रहा था जो जीडीपी का 0.9 प्रतिशत है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने गुरुवार 29 सितंबर को यह जानकारी दी।
बता दें कि चालू खाता घाटा तब होता है जब किसी देश द्वारा विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य, उसकी तरफ से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कूल मूल्य से अधिक हो जाता है। वहीं इसकी उलट स्थिति होने पर चालू खाते का सरपल्स या अधिशेष होता है। इससे देश के भुगतान संतुलन की स्थिति का भी पता चलता है।
RBI की तरफ से जारी भुगतान संतुलन के आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही (अप्रैल-जून 2022) में चालू खाते के मोर्चे पर देश 23.9 अरब डॉलर का घाटा रहा जो जीडीपी का 2.8 प्रतिशत है। इससे ठीक पिछले तिमाही (जनवरी-मार्च 2022 तिमाही) में चालू खाते का घाटा 13.5 अरब डॉलर रहा था, जो जीडीपी का 1.5 प्रतिशत था।
RBI ने बताया, "मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा बढ़ने का कारण व्यापार घाटे में बढ़ोतरी और इनवेस्मेंट आय का शुद्ध निकासी अधिक होना है। बता दें कि जून तिमाही में देश का व्यापार घाटा 68.6 अरब डॉलर रहा रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में यह 54.5 अरब डॉलर था।"
केंद्रीय बैंक यह भी कहा कि कंप्यूटर और बिजनेस सेवाओं के एक्सपोर्ट में तेजी से नेट सर्विसेज रिसिप्ट्स, तिमाही और सालाना दोनों आधार पर बढ़ा है।