New Labour Codes में बदल गई है Wage की परिभाषा, जानिए हाथ में आने वाली आपकी सैलरी पर इसका क्या होगा असर

सभी तरह और हर स्तर के एंप्लॉयीज के लिए Wage की सिर्फ एक परिभाषा होगी। वेज के तहत कंपनी की तरफ से एंप्लॉयी को मिलने वाले सभी तरह के पेमेंट आएंगे। अगर कंपनी एंप्लॉयीज को किसी वस्तु (Kind) के रूप में पेमेंट करती है तो वह भी Wage के तहत आएगा

अपडेटेड Jul 04, 2022 पर 10:30 AM
Story continues below Advertisement
नए लेबर कोड्स में कंपनियां एंप्लॉयीज की सैलरी Wage की परिभाषा के आधार पर तय करेंगी।

New labour codes 1 जुलाई से लागू होने वाले थे। इन्हें कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। लेकिन, इस साल ये लागू हो जाएंगे। इसका आपकी सैलरी पर सीधा असर पड़ेगा। साथ ही आपकी इनकम टैक्स लायबिलिटी में भी बदलाव आएगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नए लेबर कोड्स में Wage की परिभाषा बदल गई है। आइए इस बदलाव और आपके इनकम टैक्स पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में जानते हैं।

सभी तरह और हर स्तर के एंप्लॉयीज के लिए Wage की सिर्फ एक परिभाषा होगी। वेज के तहत कंपनी की तरफ से एंप्लॉयी को मिलने वाले सभी तरह के पेमेंट आएंगे। अगर कंपनी एंप्लॉयीज को किसी वस्तु (Kind) के रूप में पेमेंट करती है तो वह भी Wage के तहत आएगा।

यह भी पढ़ें : सुकन्या समृद्धि योजना में आया बड़ा अपडेट, जानिए नई ब्याज दरें


कुछ खास तरह के पेमेंट को वेज की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है। इनमें Conveyance Allowance, House Rent Allowance (HRA), Telephone Reimbursement, पेंशन और प्रोविडेंट फंड में कंट्रिब्यूशन शामिल हैं। इन्हें Specified Exclusion कहा गया है।

Wage की नई परिभाषा के मुताबिक, Specified Exclusion कुल सैलरी (Remuneration) के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि PF, Gratuity जैसे सोशल सिक्योरिटी कंट्रिब्यूशन की हिस्सेदारी कुल सैलरी (Remuneration) में कम से कम 50 फीसदी होगी। इस तरह टोटल रेम्यूनरेशन (सैलरी) में Wages और Specified Exclusion (HRA, Conveyance) शामिल होंगे।

आम तौर पर प्राइवेट कंपनियां एंप्लॉयीज को कई तरह के Allowances ऑफर करती हैं। एंप्लॉयी कुल CTC की सीमा के अदर इन allowances में से कुछ को सेलेक्ट कर लेता है। वह अपनी इनकम टैक्स लायबिलिटी के हिसाब से यह सेलेक्शन करता है। इसे Flexible salary Structure कहा जाता है। New Labour Codes में Flexible salary Structure में मुश्किल आएगी। इसकी वजह यह Wage की नई परिभाषा। इसके चलते आपके PF Amount, Gratuity amount में बदलाव आएगा। PF और Gratuity में बदलाव से आपकी Take Home Salary में भी बदलाव आएगा।

नए लेबर कोड्स में कंपनियां एंप्लॉयीज की सैलरी Wage की परिभाषा के आधार पर तय करेंगी। इसी के हिसाब से ग्रेच्युटी, पीएफ जैसे सोशल सिक्योरिटी कंट्रिब्यूशन तय होंगे। इसके चलते पीएफ और ग्रेच्युटी जैसे रिटायरल्स बेनेफिट बढ़ जाएंगे, जबकि हाथ में आने वाली सैलरी (Take Home Pay) घट जाएगी। साथ ही एंप्लॉयी की टैक्स लायबिलिटी में भी कमी आएगी। इसकी वजह यह है कि PF और Gratuity बढ़ने से एंप्लॉयी की टैक्सेबल सैलरी में कमी आएगी।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Jul 04, 2022 10:26 AM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।