डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका को महान बनाने का वादा किया था। हालांकि, इसका मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग था। ट्रंप के लिए इसका मतलब अमेरिका को मैन्युफैक्चरिंग आधारित इकोनॉमी पर है। इसके लिए उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इससे दूसरे देशों के गुड्स अमेरिकी मार्केट में महंगे हो जाएंगे। इससे उनकी बिक्री घटेगी जिससे अमेरिका को एक्सपोर्ट करने में विदेशी कंपनियों की दिलचस्पी घटेगी। ट्रंप ने कुछ मिनरल्स, फार्मा और कुछ दूसरे सेक्टर्स को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है।
ट्रंप का मकसद पूरा होने की उम्मीद कम
अमेरिका ने 180 देशों पर 10 से लेकर 49 फीसदी तक टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाया है। अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर इंडिया के 52 फीसदी टैरिफ के जवाब में अमेरिका ने इंडिया पर 26 फीसदी टैरिफ लगाया है। चीन पर ट्रंप ने 34 फीसदी टैरिफ लगाया है। पहले से वह चीन के प्रोडक्ट्स पर 20 फीसदी टैरिफ लगा चुके हैं। इससे चाइनीज प्रोडक्ट्स पर कुल अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 54 फीसदी हो गया है। अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ का बड़ा असर पड़ने जा रहा है। लेकिन, खास बात यह है कि इससे प्रॉब्लम का समाधान निकलता नहीं दिख रहा। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को पहले काफी ज्यादा निवेश करना पड़ता है। उसके बाद कंपनियों के मुनाफे में आने में लंबा समय लग जाता है। ऐसे में ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से अमेरिका के जल्द मैन्युफैक्चरिंग का हब बन जाने की उम्मीद कम है।
ग्लोबल जीडीपी 1.4 लाख करोड़ घट सकती है
दूसरा, अमेरिकी इकोनॉमी के स्वरूप को बदलने की कोशिश का असर कंज्यूमर सेंटिमेंट पर पड़ेगा। तीसरा, इससे डिमांड और सप्लाई को लेकर भी दिक्कत आ सकती है। रेसिप्रोकल टैरिफ का असर हर तरह के गुड्स पर पड़ेगा। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन में दिक्कत आ सकती है। इसका असर इकोनॉमी की ग्रोथ पर पड़ेगा। खबरों के मुताबिक, रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से ग्लोबल जीडीपी पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर का असर पड़ेगा। सबसे खराब यह कि इससे इनफ्लेशन भी बढ़ेगा।
इंडिया पर इस तरह पड़ सकता है असर
जहां तक इंडिया पर रेसिप्रोकल टैरिफ के असर का बात है तो यह समझना जरूरी है कि इंडियन इकोनॉमी कंजम्प्शन आधारित इकोनॉमी है। इंडिया की GDP में एक्सपोर्ट की करीब 12 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी सिर्फ 2 फीसदी है। SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ में हर 1 फीसदी इजाफा से इंडिया का एक्सपोर्ट 0.5 फीसदी तक घट जाएगा। दूसरी बात यह ध्यान देने वाली है कि अमेरिका ने हर देश पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। दरअसल, ट्रंप के इस टैरिफ से कुछ मायनों में इंडिया को फायदा हो सकता है।
इंडियन टेकस्टाइल्स कंपनियों को हो सकता है फायदा
अगर अमेरिका को टेक्सटाइल्स के निर्यात की बात करें तो इंडिया को चीन और वियतनाम के प्रोडक्स से मुकाबला करना पड़ता है। चीन पर 54 फीसदी और वियतनाम पर 46 फीसदी टैरिफ ट्रंप ने लगाया है। इससे अमेरिकी बाजार में इंडियन टेक्सटाइल्स प्रोडक्ट्स का अट्रैक्शन बढ़ सकता है। दूसरा, फार्मा सेक्टर को अमेरिका को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है। इंडिया की कई फार्मा कंपनियों की अमेरिकी मार्केट में अच्छी मौजूदगी है। उनके बिजनेस पर किसी तरह का निगेटिव असर नहीं पड़ेगा।
अमेरिका में मंदी आई तो आईट सेक्टर पर पड़ेगा असर
इंडिया में कुछ ऐसे सेक्टर्स हैं, जिन पर अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ का असर पड़ सकता है। आईटी कंपनियों का करीब 50 फीसदी रेवेन्यू अमेरिका से आता है। लेकिन, अभी ट्रंप ने सर्विस पर टैरिफ नहीं लगाया है। इसलिए आइटी सर्विसेज के एक्सपोर्ट पर तो असर नहीं पड़ेगा। लेकिन, अमेरिकी इकोनॉमी अगर मंदी में जाती है तो इसका असर इंडियन आईटी कंपनियों के बिजनेस पर पड़ेगा। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान से आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दिखी है।
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अमेरिका से बातचीत के लिए खुले हैं दरवाजें
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर अमेरिका से बातचीत के दरवाजे खुले हैं। ट्रंप को पता है कि अमेरिका के 1.2 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड डेफिसिट में इंडिया का योगदान ज्यादा नहीं है। अमेरिका के साथ इंडिया का ट्रेड सरप्लस बीते 4 सालों में बढ़कर 46 अरब डॉलर हो गया है। लेकिन, इंडिया के एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी 17-18 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका को इंडियन एक्सपोर्ट में जो इजाफा हुआ है, उसका कारण यह है कि पिछले कुछ सालों में इंडिया का सामान्य एक्सपोर्ट बढ़ा है। ऐसे में इंडिया के लिए ट्रंप के साथ टैरिफ के मसले पर बातचीत करने की गुंजाइश बची हुई है। ऐसे में इंडिया पर अमेरिकी टैरिफ का ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।