सिक्योरिटीज एपेलेट ट्राइब्यूनल (SAT) ने 22 अगस्त को इरोज इंटरनेशनल मीडिया, इसके एमडी अर्जुन लुला और सीईओ प्रदीप कुमार द्विवेदी की अपील खारिज कर दी। यह अपील SEBI के अंतरिम आदेश के खिलाफ फाइल की गई थी। इस आदेश में उपर्युक्त लोगों को बोर्ड में या किसी तरह के मैनेजेरियल पॉजिशंस पर काबिज होने पर रोक लगाई गई है। कंपनी और उसके एग्जिक्यूटिव्स को सेबी के पास जाने को कहा गया है। जून 2023 में सेबी ने इरोज इंटरनेशनल के एमडी और सीईओ को प्रमुख मैनेजेरियल पॉजिशंस नहीं संभालने को कहा था। सेबी ने कहा था कि आम निवेशकों के हितों की सुरक्षा और इरोज के एसेट्स या फंड के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह अंतरिम आदेश जरूरी है।
सेबी ने यह पता लगाने का फैसला किया था कि कंपनी के फंड का दुरुपयोग हुआ है या नहीं। इसके लिए उसने एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया था। अभी यह जांच पूरी नहीं हुई है। सेबी के मुताबिक, इस मामले में जल्दबाजी बरतने की वजह यह थी कि हालांकि FY20 में संदिग्ध फाइनेंशियल डेटा के दुरूपयोग की जांच के लिए जांच शुरू हो गई है लेकिन अधिकारियों का मानना है कि अब भी कंपनी के फाइनेंशियल डेटा को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। इसके अलावा कंपनी का पैसा प्रमोटर्स से जुड़ी कंपनियों को भेजा जा रहा है।
FY20 के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में कंटेंट एडवान्सेज और फिल्म राइट्स से इम्पेयरमेंट (impairment) दिखाया गया था। इसमें दूसरे एडावन्सेज और गुडविल भी शामिल थे, जो कुल 1,553.52 करोड़ रुपये के थे। उसी साल कंपनी ने 519.98 करोड़ रुपये के ट्रेड रिसीवएबल्स भी राइट-ऑफ किए गए थे। NSE ने इन स्टेटमेंट्स की जांच की थी। उसके बाद उसने प्रिलिमनरी इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट (PER) सेबी को फॉरवर्ड कर दी थी। अधिकारियों ने यह पाया था कि ऑपरेशंस से रेवेन्यू, ट्रेड रिसीवएबल्स और कंपनी की तरफ से दिए गए लोन ज्यादातर रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस थे।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पहली नजर में देखने पर ये ट्रांजेक्शन यह संकेत देते है कि कंपनी फाइनेंशियल डेटा को तोड़मरोड़ कर पेश करने के साथ ही फंड का दुरुपयोग कर रही थी। इसके बाद सेबी ने इस मामले में व्यापक जांच शुरू करने का आदेश दिया था।