डोनाल्ड ट्रंप को लेकर निर्यातकों की खास स्ट्रैटेजी, इन पांच सेक्टर्स पर फोकस

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार और निर्यात का सबसे बड़ा लक्ष्य है। अगले महीने अमेरिका में सरकार बदल रही है और एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनेंगे। जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद हाई टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी पर एक्सपोर्टर्स की टॉप बॉडी एफआईईओ पांच अहम सेक्टर्स के लिए स्ट्रैटेजी बना रहे हैं

अपडेटेड Dec 25, 2024 पर 2:22 PM
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मार्केट की बदलती परिस्थितियों से भारतीय निर्यातक नए मौकों का फायदा उठा सकते हैं। (File Photo- Pexels)

अगले महीने अमेरिका में सरकार बदल रही है और एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनेंगे। उन्होंने पहले ही कह दिया है कि जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद वह कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत शुल्क बढ़ा देंगे और चीन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। भारत अभी तक इससे बचा है। ट्रंप के पद संभालने के बाद निर्यात को बढ़ाने को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) ने खास स्ट्रैटेजी तैयार कर रही है। चाइनीज गुड्स पर हाई टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी पर एक्सपोर्टर्स की टॉप बॉडी एफआईईओ पांच अहम सेक्टर्स के लिए स्ट्रैटेजी बनाने की कोशिश में है।

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार और निर्यात का सबसे बड़ा लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2024 में दोनों पक्षों के बीच कपड़ों का कारोबार करीब 12 हजार करोड़ डॉलर का रहा जिसमें भारतीय पक्ष में 3530 करोड़ डॉलर का सरप्लस रहा।

ये है स्ट्रैटेजी

एफआईईओ के वाइस प्रेसिडेंट इसरार अहमद ने मंगलवार को कहा कि इस बार प्रतिक्रियात्मक बनने की बजाय सक्रिय होना पड़ेगा। एफआईईओ पांच सेक्टर्स-इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, कपड़े, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स और चमड़ा के लिए स्ट्रैटेजी बनाने की कोशिश की जा रही है। एफआईईओ का दावा है कि उसे सरकार का समर्थन है और अमेरिका में भारतीय निर्यातकों को प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए वित्तीय मदद के रूप में होनी चाहिए।


सरकार से निर्यातकों ने की यह अपील

मार्केट की बदलती परिस्थितियों से भारतीय निर्यातक नए मौकों का फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने सरकार से मार्केट एक्सेस इनीशिएटिव (MAI) स्कीम के तहत अधिक पैसे अलॉट करने की अपील की है ताकि उन्हें अमेरिका में आक्रामक तरीके से बढ़ावा मिल सके। इसरार का कहना है कि इसकी फंडिंग खासतौर से अमेरिका के हिसाब से होनी चाहिए और आज की जियो-पॉलिटिकल स्थिति में यह मौका है जिसके लिए एक तीन साल का प्लान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्यातकों के सामने लिक्विडिटी से जुड़ी कुछ चुनौतियां हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि MSME (माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज) से सामान और सेवाएं खरीदने पर 45 दिनों के भीतर पेमेंट करने के नियम में ढील दें और इंटेरेस्ट इक्लाइजेशन स्कीम को पांच साल के लिए बढ़ाया जाए।

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