विदेशी व्यापार (Foreign Trade) बढ़ाने के उपायों पर बुधवार को फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finance Ministry) की मीटिंग होने वाली है। इसमें डॉलर के बजाय रुपए में विदेशी व्यापार बढ़ाने के उपायों पर चर्चा होगी। इसमें विदेशी व्यापार से जुड़े कई पक्षों के साथ ही बैंकों और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे।
इस बैठक की अध्यक्षता फाइनेंशियल सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा करेंगे। इस मीटिंग में RBI के अधिकारियों, IBA और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के भी शामिल होने की संभावना है। बैंकों को रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कोशिश करनी होगी। वे निर्यातकों को रुपए में ट्रेड करने के लिए कहेंगे।
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इस साल जुलाई में RBI ने विदेशी व्यापार से जुड़े ट्रांजेक्शंस के लिए व्यापक सर्कुलर जारी किया था। RBI ने रुपए में आयात और निर्यात के सेटलमेंट और पेमेंट की इनवॉयसिंग के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा था कि इस व्यवस्था का इस्तेमाल करने वाले भारतीय आयातकों को विदेशी गुड्स और सर्विसेज की सप्लाई के लिए रुपया में पेमेंट करना होगा। जिसे पार्टनर कंट्री के कॉरेसपॉन्डिंग बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाएगा।
RBI ने एक्सपोर्ट के बारे में कहा था कि इस व्यवस्था का इस्तेमाल करने वाले इंडियन एक्सपोर्टर्स को रुपए में पेंमेंट किया जाएगा। यह पेमेंट पार्टनर कंट्री के कॉरेसपॉन्डिंग बैंक के स्पेशल Vostro अकाउंट में जमा अमाउंट से होगा। सरकार ग्लोबल ट्रेडिंग कम्युनिटी की दिलचस्पी रुपए के इस्तेमाल में बढ़ाना चाहती है।
अभी रूस और इंडिया के बीच होने वाले व्यापार के बड़े हिस्से का पेमेंट रुपए में हो रहा है। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं।
सोमवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "इस फाइनेंशियल ईयर में अब तक भारतीय रुपए का चाल व्यवस्थित रही है। दूसरे देशों की करेंसी में आई गिरावट के बीच इसने अपनी ताकत बनाए रखी है। इस फाइनेंशियल ईयर में अब तक डॉलर में 11.8 फीसदी की मजबूती आ चुकी है। इसके मुकाबले रुपए में सिर्फ 5.1 फीसदी गिरावट आई है, जो दुनिया में सबसे कम है।" उन्होंने कहा कि आरबीआई मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिश रेगुलर बेसिस पर कर रहा है।