भारत सरकार के नियंत्रण वाली देश की सबसे बड़ी पावर ट्रेडिंग कंपनी 'पीटीसी इंडिया लिमिटेड (PTC India Ltd)' में कुछ सरकारी कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिस्सेदारी को खरीदने में शुरुआती दिलचस्पी दिखाने वालों में एशिया के सबसे अमीर आदमी गौतम अडानी (Gautam Adani) भी शामिल हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि अडानी कंपनी के कारोबार से जुड़ी प्रारंभिक जानकारियां जुटा रहे हैं और वह इसके संभावित बोलीकर्ता हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ अन्य भारतीय बिजनेस ग्रुप भी मूल्यांकन कर रहे हैं कि बोली लगाई जाए या नहीं।
पीटीसी इंडिया में भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां- एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC Ltd), एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC Ltd), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Power Grid Corp. of India) और पावर फाइनेंस कॉर्प (PFC) की 4%-4% हिस्सेदारी है। इन सभी ने अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए एक सलाहकार को नियुक्त किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने के अंत तक बोलियां लग सकती हैं।
अगर अडानी ग्रुप, पीटीसी इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने में कामयाब रहता है तो इससे देश के एनर्जी वैल्यू चेन पर उसकी पकड़ और मजबूत होगी। कोल माइनिंग, ट्रेडिंग बिजनेस और अडानी ट्रांसमिशन के जरिए बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सेवाओं के जरिए पहले से ही अडानी ग्रुप का देश के एनर्जी सेक्टर में काफी मजबूत उपस्थिति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी विचार-विमर्श प्रारंभिक चरण में है और पार्टियां बोली नहीं लगाने का भी फैसला कर सकती हैं।
ब्लूमबर्ग को अडानी ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, "कंपनी की बिजनेस ग्रोथ रणनीति के तहत हम विभिन्न उपलब्ध विकल्पों का लगातार मूल्याकांन करते रहते हैं।" हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा, "समूह अटकलों पर टिप्पणी नहीं करता है।"
वहीं पीटीसी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि उसके प्रमोटरों की तरफ से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की उसे कोई जानकारी नहीं है। खबर लिखे जाने तक NTPC, NHPC, पावर फाइनेंस कॉर्प और पावर ग्रिड कॉर्प की तरफ से इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं आई थी।
PTC इंडिया को पहले Power Trading Corporation of India के नाम से जाना जाता था। इसे साल 1999 में एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्थापित किया गया था और इसने साल 2001 से एनर्जी की ट्रेडिंग शुरू की थी। देश के एनर्जी मार्केट में इसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, और इसके ग्राहकों में भारत की सभी सरकारी बिजली यूटिलिटी कंपनियां और कुछ पड़ोसी देशों की कंपनियां भी शामिल हैं।