दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने भारत में एंटी-ट्रस्ट के मामलों को लेकर अपने रुख बदले हैं। एक के बाद दूसरे कोर्ट का चक्कर काटने की जगह ये कंपनियां अपने खिलाफ चल रहे एंटी-ट्रस्ट के मामलों के सेटलमेंट पर विचार कर रही हैं। दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल ने कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) में अपने खिलाफ चल रहे एक एंटी-ट्रस्ट मामले का सेटलमेंट किया है।
इन दिग्गज कंपनियों के खिलाफ मामले
मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि कम से कम दो और टेक्नोलॉजी कंपनियां एंटी-ट्रस्ट मामलों के सेटलमेंट के लिए प्रोसेस शुरू कर चुकी हैं। Google, Meta (Facebook), Apple, Amazon, Flipkart जैसी दिग्गज कंपनियों के खिलाफ इंडिया में एंटी-ट्रस्ट के मामले चल रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ये कंपनियां इन मामलों के सेटलमेंट में दिलचस्पी दिखाती हैं तो यह उनके और सीसीआई दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
मामलों पर आदेश आने में लगता है ज्यादा समय
बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर सीसीआई चिंता जता चुका है। अदालतों में ऐसे कई मामले हैं, जो कई सालों से चल रहे हैं। उदाहरण के लिए सीसीआई ने 2022 में ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। लेकिन, वह अब तक अंतिम आदेश नहीं सुना पाया है। इसकी वजह यह है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और उनके सेलर्स की तरफ से देश भर में 2 दर्जन से ज्यादा मामले फाइल किए गए हैं। इससे सुनवाई में देर हुई है। हालांकि, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी मामलों को क्लब करने और बंगलोर में उन पर सुनवाई का आदेश दिया था।
मामले के सेटलमेंट से कंपनियों को फायदा
सीसीआई मामलों के सेटलमेंट के दौरान उन उपायों के बारे में बता सकता है, जिनके पालन से ऐसे मामले भविष्य में दोबारा नहीं होंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मामलों के सेटलमेंट से कंपनियां भी कम पेनाल्टी चुकाकर लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करने से बच जाएंगी। कानून में इसका प्रावधान है कि अगर कंपनी सीसीआई के डायरेक्टर जनरल के जांच रिपोर्ट फाइल कर देने से पहले मामले के सेटलमेंट में दिलचस्पी दिखाती है तो उस पर कम पेनाल्टी लगाई जा सकती है। इससे कंपनियों के लिए रेगुलेटरी रिस्क भी घट जाता है।
बड़ी पेनाल्टी से बच जाती हैं कंपनियां
इस बारे में एपल, एमेजॉन, मेटा, गूगल और फ्लिटकार्ट को भेजे ईमेल के जवाब नहीं मिले। खेतान एंड कंपनी के पार्टनर प्रांजल प्रतीक ने कहा, "टेक्नोलॉजी कंपनियों से जुड़े मामलों को लेकर सीसीआई के सख्त रुख को देखते हुए सेटलमेंट फायदेमंद लगता है। सेटलमेंट रूट के जरिए डिफेंडिंग पार्टी को ऐसे मामलों से बचने के लिए उपाय पेश करने का मौका भी मिल जाता है। इसके अलावा संभावित पेनाल्टी के मुकाबले सेटलमेंट अमाउंट भी कम होता है। "