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Startups के रेगुलेशन के लिए सख्त नियम बनाने पर सोच सकती है सरकार की कमेटी

हाल में कई यूनिकॉर्न्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का पालन नहीं होने के मामले सामने आए हैं। कंपनीज एक्ट के तहत स्टार्टअप की परिभाषा में उसे एक प्राइवेट कंपनी बताया गया है और उसकी पहचान एक स्टार्टअप के रूप में स्थापित की गई है। स्टार्टअप्स को कई तरह की रियायतें दी गई हैं। इनमें कुछ प्रोसिजर और कंप्लायंस से संबंधित रियायतें भी हैं

अपडेटेड Jul 31, 2023 पर 12:19 PM
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एक प्राइवेट कंपनी को रजिस्ट्रेशन की तारीख से पांच साल तक स्टार्टअप माना जाता है। उसे मेंबर्स से बगैर किसी प्रतिबंध के डिपॉजिट लेने की इजाजत है।

स्टार्टअप्स (Startups) में कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) की अनदेखी के मामलों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार की तरफ से नियुक्त एक समिति इस बारे में सख्त रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने पर अपनी राय दे सकती है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हाल में कई यूनिकॉर्न्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का पालन नहीं होने के मामले सामने आए हैं। अधिकारी ने बताया कि स्टार्टअप्स आकार में छोटे होते हैं। उन्हें अपने कामकाज और कंप्लायंस के बीच संतुलन बैठाना पड़ता है। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने सितंबर 2019 में कंपनी लॉ कमेटी (CLC) बनाई थी। यह कमेटी स्टार्टअप्स के लिए रेगुलेटरी रीजीम बनाने पर विचार कर सकती है।

कंपनी मामलों के मंत्रालय के सचिव सीएलसी के प्रमुख हैं। इस कमेटी में इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ ही कई एक्सपर्ट्स भी शामिल हैं। इसका काम कंपनीज एक्ट, 2013 और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) एक्ट के प्रभावी पालन पर नजर रखना है। साथ ही यह समति इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने की भी कोशिश करती है। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय अभी इस मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है कि स्टार्टअप्स के लिए सख्त रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत है या नहीं। सरकार का यह भी मानना है कि स्टार्टअप्स के लिए अभी बहुत सख्त कंप्लायंस लागू करना ठीक नहीं होगा।

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कंपनीज लॉ और एलएलपी एक्ट दोनों के इम्पलीमेंटेशन की जिम्मेदारी मंत्रालय की है। कंपनीज एक्ट के तहत स्टार्टअप की परिभाषा में उसे एक प्राइवेट कंपनी बताया गया है और उसकी पहचान एक स्टार्टअप के रूप में स्थापित की गई है, जो डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री और इनटर्नल ट्रेड की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक होना चाहिए। स्टार्टअप्स को कई तरह की रियायतें दी गई हैं। इनमें कुछ प्रोसिजर और कंप्लायंस से संबंधित रियायतें भी हैं।

एक प्राइवेट कंपनी को रजिस्ट्रेशन की तारीख से पांच साल तक स्टार्टअप माना जाता है। उसे मेंबर्स से बगैर किसी प्रतिबंध के डिपॉजिट लेने की इजाजत है। हाल में मिनिस्ट्री ने एडटेक स्टार्टअप Byju's के बुक्स की जांच का आदेश दिया था। यह स्टार्टअप थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड का है, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। बुक्स की जांच मंत्रालय करेगा। बायजूज पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं। उसने अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स भी पेश नहीं किए हैं।

MoneyControl News

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First Published: Jul 31, 2023 12:16 PM

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