केंद्र सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) पर अतिरिक्त 14,524 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी में है। सरकार ने इस अतिरिक्त खर्च के लिए बुधवार 6 दिसंबर को संसद से मंजूरी मांगी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बुधवार को लोकसभा में बजट के लिए पहली अनुपूरक मांगों की सूची पेश की। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश बजट से कुल करीब 1.29 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च की मांग की गई है। शुद्ध आधार पर, अतिरिक्त खर्च 58,378 करोड़ रुपये होने का अनुमान है क्योंकि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के आवंटित बजट में करीब 70,968 करोड़ रुपये की बचत होती दिखाई दे रही है।
ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा स्कीम पर अतिरिक्त खर्च का अनुमान पहले भी कई मीडिया रिपोर्टों में लगाया गया था। रिपोर्टों में कहा गया था कि यह आंकड़ा 40,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। वित्त वर्ष 2024 के बजट में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो पिछले साल के 89,400 करोड़ रुपये के बजट से काफी कम है।
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रांट की पहली अनुपूरक सूची में सरकार ने मनरेगा के अलावा इन मद में भी अतिरिक्त खर्च के लिए मंजूरी मांगी है-
- फर्टिलाइजर्स सब्सिडी पर 13,351 करोड़ रुपये अधिक
- BSNL में 11,850 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का लक्ष्य
- एक्जिम बैंक को 9,014 करोड़ रुपये का लोन देने
- गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन देने के लिए 8,500 करोड़ रुपये
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अनाज की खरीद पर राज्यों को सब्सिडी के रूप में 4,807 करोड़ रुपये
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 1,100 करोड़ रुपये
सरकार की ओर से अधिक खर्च से इस बार राजकोषीय घाटा बढ़ने की उम्मीद नहीं है। केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) के 5.9 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है और वह इसे हासिल करने की राह पर है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर 2023 अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 8.04 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे साल के 17.87 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 45 प्रतिशत है।