सरकार ने देश में 'हाइड्रोजन वैली इनोवेशन कलस्टर्स' (HVIC) बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। उसने इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) बिड्स मंगाए हैं। एचवीआईसी सरकार के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) का हिस्सा है। इसे यूनियन कैबिनेट ने 4 जनवरी को मंजूरी दी थी। सरकार के प्लान के मुताबिक, HVIC 2028 तक ऑपरेशनल हो जाएगा। हाइड्रोजन वैली का मतलब ऐसे स्थान से है, जिसमें हाइड्रोजन का इस्तेमाल कई इंडस्ट्री और अलग-अलग जरूरतों के लिए होगा। इसमें आम तौर पर हाइड्रोजन वैल्यू चेन के सभी जरूरी स्टेप्स शामिल होते हैं।
EoI सब्मिट करने की आखिरी तारीख 4 मई
इस मामले से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "इसके जरिए सरकार ग्रीन हाइड्रोजन वैल्यू चेन में इंडस्ट्रियल लेवल पर इस्तेमाल हो रहे टेक्नोलॉजीकल प्रगति को दिखाना चाहती है। इससे देश के चुने गए क्षेत्रों में आपस में जुड़े हाइड्रोजन इकोसिस्टम बनाने में मदद मिलेगी।" डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने के वास्ते EoI सब्मिट करने की आखिरी तारीख 4 मई है।
बिड डॉक्युमेंट के मुताबिक, हर हाइड्रोजन वैली में एक कंसोर्शियम होगा, जिसमें एक या एक से ज्यादा कमर्शियल एंटरप्राइजेज सदस्य होंगे। इसकी वजह यह है कि वैली में इस्तेमाल हो रही टेक्नोलॉजी का अंतिम फायदा इंडस्ट्री को होगा। इससे वह ऐसी टेक्नोलॉजी की मैन्युफैक्चरिंग और इस्तेमाल में बाद में निवेश करेगी। इनोवेशन कलस्टर्स रिसर्च, डेवलपमेंट और डेमोंस्ट्रेशन के लिए फंड उपलब्ध कराएंगे।
स्मॉल स्केल के दो HVIC की सिफारिश
हाइड्रोजन वैली इनोवेशन कलस्टर के वास्ते डीपीआर तैयार के लिए 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता या बजट तय किया गया है। इससे ज्यादा आने वाले खर्च पर हर मामले के आधार पर कमेटी विचार करेगी। सरकार ने दो स्मॉल स्केल के HVIC की सलाह दी है। इसमें पहला सिटी या टाउन वाइड हाइड्रोजन वैली इनोवेशन कलस्टर होगा। इसे करीब 100 किलोमीटर की परिधि वाले एरिया में बनाया जाएगा। इसमें हाइड्रोजन वैल्यू चेन के कई हिस्से शामिल होंगे।
दूसरा कैंपस वाइड स्मॉल स्केल एचवीआईसी होगा। इसमें हाइड्रोजन वैल्यू चेन से जुड़े R&D इंस्टीट्यूशंस या इंडस्ट्रियल एस्टैब्लिशमेंट होंगे। ग्रीन हाइड्रोजन की वैल्यू चेन में ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन, हाइड्रोजन स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन पर फोकस होगा। सरकार NGHM के तहत 2030 तक सालाना 50 लाख मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमता विकसित करना चाहती है। एक्सपोर्ट मार्केट की ग्रोथ के साथ इसे सालाना 1 करोड़ टन पहुंचाया जा सकेगा।