विदेशी फंडों (Foreign Funds) ने फिर से इंडियन मार्केट में बिकवाली शुरू कर दी है। हालांकि, अभी यह बड़ी चिंता नहीं लग रही है। लगातार दूसरे दिन बेयरिश मार्केट में मिडकैप स्टॉक्स का प्रदर्शन अच्छा रहा। इससे यह संकेत मिलता है कि अमीर इनवेस्टर्स ने सही प्राइस पर खरीदारी शुरू कर दी है। यह भी हो सकता है कि वे स्थिति जल्द बेहतर होने की उम्मीद में अपने लॉसेज को एवरेज करने की कोशिश कर रहे होंगे।
Tata Chemicals की बदली कहानी
पिछले साल अक्टूबर तक टाटा केमिकल्स की स्टोरी में सोडा एश की कीमतों में संभावित तेजी का हाथ था। अब स्थिति बदल गई है। 17 अप्रैल को कंपनी ने चीन में सोडा ऐश की कीमतों में लगातार गिरावट को देखते हुए कीमतों में 3-4 फीसदी कमी की। खबरें बताता हैं कि मई 2023 से मंगोलिया में सोडा ऐश की क्षमता में बड़ा इजाफा होने जा रहा है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को चौथी तिमाही के टाटा केमिकल्स के नतीजे मजबूत रहने की उम्मीद है। लेकिन, 2023 की दूसरी छमाही को लेकर वह आश्वस्त नहीं है।
Lupin के शेयरों में 17 अप्रैल को फार्मा पैक में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। काफी ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम के बीच यह स्टॉक 6 फीसदी चढ़ा। इस शेयर में बुल्स की दिलचस्पी चौंकाने वाली है, क्योंकि अब भी इस कंपनी के पितमपुर प्लांट को लेकर कुछ मसले बने हुए हैं। अमेरिकी FDA ने इस प्लांट को लेकर अपने कुछ ऑब्जर्वेशन दिए थे। ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने कहा है कि कुल 10 में से तीन ऑब्जर्वेशन गंभीर हैं। मार्केट इस स्टॉक पर इस उम्मीद में दांव लगा रहा है कि एंटी-अस्थमा ड्रग Siriva की लॉन्च के रूप में अच्छी खबर आएगी। सवाल यह है कि क्या इस खबर का असर शेयरों पर देखने को मिलेगा?
TTK Healthcare की डिलिस्टिंग
TTK Healthcare के शेयरों में मार्च के मध्य से जबर्दस्त तेजी आई है। यह 34 फीसदी चढ़ा है। सुनील सिंघानिया की Abakkus ने 24 मार्च को इस कंपनी के 2.46 लाख शेयर खरीदे थे। इससे यह संकेत मिलता है कि HNI ट्रेडर्स इस स्टॉक में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। दो हफ्ते बाद कंपनी ने कहा है कि वह अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों से डिलिस्ट कराने के बारे में सोच रही है। 18 अप्रैल को उसने कहा कि इस प्रस्ताव पर 20 अप्रैल को विचार होगा। कंपनी ने कहा है कि उसके लॉन्ग टर्म प्लान में पोर्टफोलियो रिस्ट्रक्चरिंग, अलग-अलग रिस्क वाले नए प्रोडक्ट्स और बिजनेसेज शामिल हैं। कंपनी नहीं चाहती है कि इस तरह की अनिश्चितता में शेयरहोल्डर्स को शामिल किया जाए।
चार बड़े ऑयल एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में 8 महीनों में लगातार आउटफ्लो देखने को मिला है। सिर्फ पिछले हफ्ते 21.1 डॉलर निकाले गए हैं। मार्केट में यह चर्चा चल रही है कि इस आउटफ्लो की वजह रूटीन मुनाफावसूली है या ऊंची कीमतों पर क्रूड ऑयल में भरोसा नहीं बन पा रहा है। कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि OPEC ने प्रोडक्शन में कमी का फैसला मजबूरी में लिया होगा, क्योंकि आने वाले समय में डिमांड कमजोर रहने का अनुमान है।