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कोरोना महामारी में बढ़ा प्राइवेट सेक्टर का कर्ज, जीडीपी में आ सकती है 1.3-0.9% की गिरावट, IMF ने दी चेतावनी

IMF ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामरी के दौरान प्राइवेट सेक्टर पर कर्ज बढ़ने से विकासशील देशों की आर्थिक ग्रोथ अगले तीन साल में 1.3 फीसदी तक कम हो सकती है

अपडेटेड Apr 18, 2022 पर 9:54 PM
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IMF ने 2022 में विकसित देशों की ग्रोथ औसतन 3.9 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामरी के दौरान प्राइवेट सेक्टर पर कर्ज काफी बढ़ गया है और इसके चलते विकासशील देशों की आर्थिक ग्रोथ को अगले तीन साल में 1.3 फीसदी तक कम कर सकता है। विकसित देशों की आर्थिक ग्रोथ को भी इससे नुकसान पहुंचेगा, लेकिन यह नुकसान काफी कम 0.9 फीसदी का होगा। IMF ने सोमवार को 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक' नाम से जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।

IMF ने कहा, "ग्लोबल लेवल पर निजी कर्ज 2020 में बढ़कर जीडीपी के 13 फीसदी पर पहुंच गया और यह लगभग हर देश में बढ़ा है और इसकी रफ्तार 2008 के ग्लोबल आर्थिक संकट से भी तेज रही है और साथ ही इसमें अब पब्लिक कर्ज की तरफ तेज बढ़ोतरी दिख रही है।"

IMF ने जनवरी में एक अनुमान में कहा था कि साल 2022 में विकसित देशों की ग्रोथ औसतन 3.9 फीसदी रहने की उम्मीद है और 2023 में यह 2.6 फीसदी के आसपास रह सकती है। वहीं उसने विकासशील देशों की आर्थिक ग्रोथ के 2022 में 4.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया, जबकि 2023 में यह इसके 4.7 फीसदी दर से बढ़ने का अनुमान जताया।


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ये अनुमान आगे घट भी सकते हैं। IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जियोर्जिवा ने बीते गुरुवार को कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जंग से पैदा हुए हालातों को देखते हुए IMF 2022 और 2023 के लिए अपने अनुमानों को घटा भी सकता हैं। IMF दुनिया भर के देशों के लिए अपना संशोधित अनुमान मंगलावर 19 अप्रैल को जारी करेगा।

IMF ने सोमवार को कहा कि प्राइवेट सेक्टर पर कर्ज रूस-यूक्रेन युद्ध के पहले ही काफी बढ़ गया था और अभी तक युद्ध का प्राइवेट सेक्टर के बैंलेस शीट पर पड़ने वाले असर का आकलन नहीं किया गया है।

IMF के मुताबिक, कर्ज में तेज बढ़ोतरी टिकाऊ नहीं हो सकती है और इससे ग्रोथ औसत से नीचे भी जा सकती है। IMF ने कहा, "संक्षेप में कहे तों, कमजोर वित्तीय स्थितियां कर्ज लेने को प्रोत्साहित करती है। इससे खर्च, ग्रोथ और संपत्तियों की कीमत बढ़ती है और फिर इन संपत्तियों को गिरवी रख उधार लेने को और प्रोत्साहन मिलता है। यह खत्म तब होता है जब रिटर्न काफी कम हो जाता है, या लेंडर्स अपने पैसे की वसूली को लेकर संदेह में आ जाते हैं और नए लोन देना बंद कर देते हैं, या वित्तीय स्थिति नाजुक हो जाती है और उधार लेने की लागत बढ़ जाती है।"

भारत के लिए क्या है IMF का अनुमान

IMF ने इससे पहले जनवरी में जारी अपनी रिपोर्ट में भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2022 में 9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं वित्त वर्ष 2023 में उसने भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान जताया था। IMF ने यह अनुमान रूस-यूक्रेन जंग से पहले जताया था, जब तेल और गैस के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसमान नहीं छू रहे थे।

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