भारत का व्यापार घाटा (Trade deficit) जून में बढ़कर 25.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल के इसी महीने से करीब 62 फीसदी अधिक है। व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य वजह ग्लोबल लेवल पर कमोडिटी की कीमतों में आई उछाल है, जिसके चलते एनर्जी और मेटल जैसी इंपोर्ट होने वाली अहम वस्तुओं की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई है।
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में देश का एक्सपोर्ट्स 16.8 फीसदी बढ़कर 37.9 अरब डॉलर रहा है। हालांकि इसी दौरान भारत के इंपोर्ट में भी करीब 51 फीसदी की उछाल आई है और 63.5 अरब डॉलर रहा। इस तरह 25.6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा (कुल इंपोर्ट और कुल एक्सपोर्ट के बीच का अंतर) रहा। एक अधिकारी ने बताया कि व्यापार घाटे में बढ़ोतरी सरकार के लिए एक चिंता का विषय हो सकती है।
देश का व्यापार घाटा पिछले कुछ महीनों से लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल में देश का व्यापार घाटा 20.4 अरब डॉलर रहा, जो मई में बढ़कर 23.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया और अब यह जून में 25.6 अरब डॉलर हो गया है।
मनीकंट्रोल ने इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया इस मुद्दे ने प्रधानमंत्री कार्यालय का भी ध्यान खींचा है और इसे कम करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपये के वैल्यू में गिरावट और कमोडिटी की कीमतें ऊंचे स्तर पर बने रहने के चलते, सरकार को निकट भविष्य में व्यापार घाटे के बढ़ने की उम्मीद है।
कच्चे तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर रहने के चलते जून में रिफाइंड पेट्रोलियम इंपोर्ट की लागत करीब दोगुना बढ़कर 20.7 अरब डॉलर रही, जो पिछले साल जून में 10.6 अरब डॉलर था।
पेट्रोलियम देश के इंपोर्ट बिल का सबसे बड़ा हिस्सा है। रूस से डिस्काउंट पर तेल मिलने के बावजूद, यूक्रेन जंग के बाद ग्लोबल लेवल पर पेट्रोलियम लेवल पर पेट्रोलियम की कीमतों में आई उछाल का भारत के इंपोर्ट बिल पर असर पड़ना जारी है।
यह भी दिलचस्प है कि कोल, कोक और ब्रिकेट्स के इंपोर्ट्स में जून में 241 फीसदी की भारी उछाल आई है और इसकी वैल्यू करीब 6.4 अरब डॉलर रही है। वहीं पिछले साल जून में कोल, कोक और ब्रिकेट्स का इंपोर्ट बिल 1.8 अरब डॉलर रहा था। यह बताता है कि पिछले एक साल में इन वस्तुओं की ग्लोबल कीमतों में कितनी उछाल आई है।
पहली तिमाही में 70.25 अरब डॉलर रहा व्यापार घाटा
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों यानी अप्रैल-जून तिमाही में देश का एक्सपोर्ट 22.22 फीसदी बढ़कर 116.77 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसी अवधि में इंपोर्ट 47.31 प्रतिशत बढ़कर 187.02 अरब डॉलर हो गया। इस तरह वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में देश का व्यापार घाटा 70.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एक साल पहले की समान तिमाही में यह 31.42 अरब डॉलर रहा था।