भारत-ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) हो गया है। दोनों देशों के बीच इस समझौते से 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार दोगुना या 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। मंगलवार को हुआ यह समझौता 99 प्रतिशत भारतीय एक्सपोर्ट पर ड्यूटी को कम करेगा। मुक्त व्यापार समझौता यानि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत वे अपने बीच ट्रेड होने वाली ज्यादातर चीजों पर सीमा शुल्क को या तो पूरी तरह समाप्त करने या उसे कम करने पर सहमत होते हैं।
इसके अलावा सर्विसेज और द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाया जाता है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 21.34 अरब डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों में सामान का व्यापार 21.33 अरब डॉलर रहा।
किन-किन चीजों पर रियायतें
- एफटीए के तहत चमड़ा, जूते, अपैरल, टेक्सटाइल जैसे श्रम प्रधान प्रोडक्ट्स के भारत से ब्रिटेन को एक्सपोर्ट पर टैक्स हटा दिए जाएंगे।
- ब्रिटेन में जीरो ड्यूटी पर एंट्री करने वाले भारतीय प्रोडक्ट्स में खनिज, रसायन, रत्न और गहने, फ्रोजन झींगे, प्लास्टिक, रबड़, लकड़ी, कागज, कपड़े, कांच, सिरेमिक, यांत्रिक और बिजली मशीनरी, हथियार/गोला-बारूद, ट्रांसपोर्ट/व्हीकल, फर्नीचर, खेल के सामान, पशु उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट शामिल हैं। इससे 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को फायदा होगा।
- ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का भारत में इंपोर्ट सस्ता हो जाएगा। समझौते के तहत भारत, ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर ड्यूटी को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा और समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा।
- दोनों पक्षों के कोटा के तहत ब्रिटेन के व्हीकल्स के भारत में इंपोर्ट पर ड्यूटी 100 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगी, जिससे टाटा-जेएलआर जैसी व्हीकल कंपनियों को फायदा होगा।
कौन सी चीजें रियायत से बाहर
दोनों देशों के बीच हुए एफटीए के तहत प्लास्टिक, हीरा, चांदी, बेस स्टेशन, स्मार्टफोन, टेलीविजन कैमरा ट्यूब, ऑप्टिकल फाइबर, ऑप्टिकल फाइबर बंडल और केबल जैसे संवेदनशील औद्योगिक सामान को लिस्ट से बाहर रखा गया है। यानि इन प्रोडक्ट्स पर भारत, ब्रिटेन की कंपनियों को ड्यूटी में कोई रियायत नहीं देगा। कुल मिलाकर ब्रिटिश कंपनियों के लिए ये सस्ते नहीं होंगे। भारत, ब्रिटेन को इन चीजों पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी बेनिफिट नहीं देता है। इसके साथ ही भारत डेयरी प्रोडक्ट्स, सेब और पनीर जैसे संवेदनशील कृषि सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी में ब्रिटेन को कोई रियायत नहीं देगा।
ब्रिटेन के व्हीकल्स के इंपोर्ट पर लिमिटेड है रियायत
पीटीआई के मुताबिक, एक अधिकारी का कहना है कि ब्रिटेन से पेट्रोल और डीजल इंजन व्हीकल्स के भारत में इंपोर्ट पर ड्यूटी में रियायत पूर्व-निर्धारित कोटा तक सीमित है। इसी तरह, सीमा शुल्क की रियायती दर पर ब्रिटिश इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी) के इंपोर्ट का कोटा केवल कुछ हजार तक सीमित है। एक अधिकारी के मुताबिक, ‘‘ईवी के लिए कोटा से बाहर ड्यूटी में कोई कमी नहीं की गई है। ईवी से जुड़ी संवेदनशीलता का ध्यान रखा गया है। आईसीई व्हीकल्स पर कोटा से बाहर ड्यूटी को लंबे समय में धीरे-धीरे कम किया जाएगा, जिससे हमारे उद्योगों को ब्रिटेन से बढ़ने वाले इंपोर्ट का मुकाबला करने के लिए वक्त मिल सके।’’
एक सरकारी सूत्र का कहना है कि हमने यूके के साथ एफटीए के माध्यम से किसी भी कम लागत वाली कार या भविष्य की कारों की इजाजत नहीं दी है। ब्रिटिश कारों पर प्रस्ताव ऑटोमोबाइल स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श के बाद सामने आया है।