आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (IRB Infrastructure Trust) की एक विशेष उद्देश्यी कंपनी येदेशी औरंगाबाद टोलवे लिमिटेड (YATL), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के खिलाफ एक मध्यस्थता मुकदमा जीत गई है। इसके चलते एनएचएआई को आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट को 1720 करोड़ रुपये का मुआवजा देना होगा। एक हाइवे प्रोजेक्ट को लेकर हुए विवाद में वाईएटीएल ने एनएचएआई के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की थी। प्रोजेक्ट में रियायत अवधि को 870 दिन बढ़ाने और 1751 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के कंपनी के दावे पर दोनों पक्षों के बीच विवाद था।
आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट की स्पॉन्सर, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड है। आईआरबी, वाईएटीएल के लिए ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर थी और प्रोजेक्ट मैनेजर बनी हुई है। एनएचएआई और कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के कारण हाइवे निर्माण में देरी हुई, जिसके चलते आईआरबी ने मुआवजे का दावा किया।
आईआरबी ने येदेशी औरंगाबाद NH211 BOT हाइवे प्रोजेक्ट के इंप्लीमेंटेशन के लिए वाईएटीएल को इनकॉरपोरेट किया था। मई 2014 में रियायत समझौता (Concession Agreement) किया गया। वाईएटीएल ने 1 जुलाई 2015 से प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया और इसे 910 दिनों के भीतर यानि 26 दिसंबर 2017 को पूरा किया जाना था। हालांकि जमीन सौंपने में देरी और एनएचएआई की वजह से पैदा हुए अन्य कारणों के चलते प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी हुई। अंत में यह 24 सितंबर 2020 को पूरा हो सका। इस देरी के परिणामस्वरूप वाईएटीएल के समय और लागत में वृद्धि हुई, जिसके लिए उसने 12 मार्च 2021 को एनएचएआई से मुआवजे का दावा किया। इस पर एनएचएआई द्वारा विवाद किया गया और मामला मध्यस्थता न्यायाधिकरण में जा पहुंचा।
आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों को पूरी तरह से सुनने के बाद मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Arbitration Tribunal) ने एनएचएआई को ब्याज सहित 1720 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने एनएचएआई को रियायत अवधि में 689 दिनों का विस्तार देने का निर्देश भी दिया है।