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Jet Airways News: बिकेगी जेट एयरवेज की संपत्तियां, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, NCLAT का फैसला खारिज

Jet Airways News: सुप्रीम कोर्ट ने आज 7 नवंबर को दिक्कतों से जूझ रही जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने यानी कि इसकी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसे लेकर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले को खारिज कर दिया। एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज का मालिकाना हक मंजूर हो चुके रिजॉल्यूशन प्लान के तहत जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) को देने का फैसला सुनाया था

अपडेटेड Nov 07, 2024 पर 1:21 PM
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Jet Airways News: सुप्रीम कोर्ट ने आज 7 नवंबर को दिक्कतों से जूझ रही जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने यानी कि इसकी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसे लेकर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले को खारिज कर दिया। एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज का मालिकाना हक मंजूर हो चुके रिजॉल्यूशन प्लान के तहत जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) को देने का फैसला सुनाया था। हालांकि इस फैसले के खिलाफ एसबीआई और बाकी क्रेडिटर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज को फिर से ट्रैक पर लाने के लिए कंसोर्टियम की प्रस्तावित समाधान योजना को रद्द कर दिया और कहा कि कंसोर्टियम निर्धारित समय में पहला किश्त का पैसा भी नहीं डाल सकी।

Jalan Kalrock की बैंक गारंटी भी जब्त

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को 16 अक्टूबर को ही सुरक्षित कर लिया था और इसे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की पीठ ने सुनाया। चीफ जस्टिस 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। जालान कालरॉक ने 150 करोड़ रुपये की जो बैंक गारंटी की थी, उसे भी जब्त कर लिया गया है।


क्या है पूरा मामला

वित्तीय दिक्कतों के चलते जेट एयरवेज 2019 में बंद हो गई थी। इसके सबसे बड़े लेंडर एसबीआई ने एनसीएलटी मुंबई में दिवालिया कार्यवाही शुरू की थी, और इसके बाद कंपनी के रिजॉल्यूशन की प्रोसेस शुरू की गई। वर्ष 2021 में जालान-कालरॉक ने इसके लिए सफल बोली लगाई। हालांकि यह मामला और आगे बढ़ा और मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई गई।

इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कंसोर्टियम को एसबीआई और कंसोर्टियम के ज्वाइंट एस्क्रो खाते में 150 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था और ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई से जूझने को लेकर आगाह भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT से यह भी कहा था कि वह लेंडर्स की याचिका पर मार्च 2024 तक फैसला ले जिसमें जेट एयरवेज के स्वामित्व को JKC को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। 12 मार्च को NCLAT ने जेट एयरवेज का स्वामित्व JKC को ट्रांसफर करने के फैसले को सही ठहराया था। इससे पहले NCLT ने जनवरी में JKC को स्वामित्व ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी और लेंडर्स से 90 दिनों के भीतर स्वामित्व ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। ।

सुप्रीम कोर्ट में जब यह मामला गया तो काफी बहस हुई। एसबीआई की अगुवाई में कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स का कहना है कि जेट एयरवेज को पटरी पर लाने के लिए जो योजना पेश की गई है, वह लेंडर्स के हिसाब से बेहतर नहीं है और उन्होंने NCLAT के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें रिजॉल्यूशन प्लान को सही ठहराया गया था। कंसोर्टियम ने रिजॉल्यूशन प्लान के तहत जेट एयरवेज का स्वामित्व पाने के लिए 350 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश का वादा किया था। NCLAT की तीन सदस्यीय पीठ ने 150 करोड़ रुपये के बैंक गारंटी को इससे एडजस्ट करने की मंजूरी दी थी।

मई में लेंडर्स की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि रिजॉल्यूशन प्लान के तहत इंटरनेशनल ट्रैवल की मंजूरी लेना भी शामिल था जिसके लिए एक एयरलाइन को कम से कम 20 विमान की आवश्यकता होती है, जबकि कंसोर्टियम ने केवल पांच विमान हासिल किए हैं। लेंडर्स ने यह भी आरोप लगाया कि वे हर महीने लगातार 22 करोड़ रुपये के हिसाब से हवाई अड्डे के शुल्क और अन्य खर्चों का भुगतान कर रहे हैं, और अब तक 350 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुके हैं। वहीं NCLAT ने इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए लेंडर्स को 90 दिनों के भीतर एयरलाइन का स्वामित्व कंसोर्टियम को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।

दूसरी तरफ जालान-कालरॉक की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सभी आरोपों का जोरदार खंडन किया। उन्होंने कहा कि कंसोर्टियम ने लेंडर्स की पेशकश का लाभ नहीं उठाया क्योंकि उन्हें वैसे भी 350 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। उन्होंने यह भी कहा कि कंसोर्टियम ने एयरलाइन को फिर से शुरू करने की कोशिश में अब तक 700 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज पर अपना दावा किया तो कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) ने सुप्रीम कोर्ट से जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आग्रह किया था।

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