Cognizant News: दिग्गज आईटी कंसल्टिंग और आउटसोर्सिंग कंपनी कॉग्निजैंट ने कुछ मैनेजर्स को प्रोहांस (ProHance) जैसे वर्कफोर्स-ट्रैकिंग टूल्स की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। इस टूल का इस्तेमाल एंप्लॉयीज के लैपटॉप की एक्टिविटी को ट्रैक करने और कुछ क्लाइंट के प्रोजेक्ट्स पर एप्लीकेशन के इस्तेमाल को ट्रैक करने में होगा। मीडिया रिपोर्ट्स में इसका खुलासा ट्रेनिंग मैटेरियल के हवाले से हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कॉग्निजैंट इस टूल को फिलहाल चुनिंदा प्रोजेक्ट्स पर ही लागू कर रही है। कंपनी का कहना है कि इसके आंकड़ों का इस्तेमाल फिलहाल वर्कफोर्स को समझने और यूटिलाइजेशन को बढ़ाने में किया जाएगा, ना कि किसी एंप्लॉयी के परफॉरमेंस का मूल्याकंन करने के लिए।
कैसे काम करेगा निगरानी वाला यह टूल?
मॉड्यूल के मुताबिक यह सॉफ्टवेयर माउस और कीबोर्ड की एक्टिविटी को कैप्चर करता है और निष्क्रियता यानी इनएक्टिविटी के आधार पर यूजर्स को फ्लैग करता है। यदि किसी एंप्लॉयी ने 300 सेकंड यानी 5 मिनट तक कोई एक्टिविटी नहीं की तो उसे आइटल (Idle) मार्क किया जा सकता है, और यदि लैपटॉप ही 15 मिनट तक इनएक्टिव रहा तो तो “Away from System” यानी सिस्टम से दूर टैग किया जा सकता है। हालांकि अलग-अलग डिलीवरी टीमें अपने हिसाब से ये समय बदल सकती हैं कि कितने मिनट की इनएक्टिविटी पर आइडल मार्क करना है और कब 'सिस्टम से दूर' टैग करना है। प्रोहांस जैसे डैशबोर्ड आमतौर पर लॉगइन टाइम, ओपन एप्लीकेशन और किसी टास्क पर लगने वाले समय को दिखाता है, जिससे पूरी शिफ्ट के दौरान एक-एक मिनट का हिसाब मिल जाता है।
किस बात से हैं एंप्लॉयीज परेशान और कंपनी का क्या कहना है?
कुछ एंप्लॉयीज का कहना है कि प्रोहांस कोर्स को अनिवार्य मॉड्यूल के रूप में दिया गया है। इससे निगरानी बढ़ने की आशंका तेज हुई है। एंप्लॉयीज को डर है कि भले ही अभी इसका इस्तेमाल औपचारिक रूप से परफॉरमेंस के मूल्यांकन में न हो, लेकिन “आइडल टाइम” डेटा अनौपचारिक रूप से परफॉरमेंस से जुड़ी चर्चाओं को प्रभावित कर सकता है। प्राइवेसी एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े ढांचे में कई खामिया हैं जैसे कि कंपनियां कैसे डेटा इकट्ठा कर सकती है, रख सकती है और इसका इस्तेमास कर सकती हैं। कई एंप्लॉयीज के लिए तो एक बड़ा मुद्दा यह है कि अपना समय मैनेज करने को लेकर उन पर विश्वास करने की बजाय उन्हें डैशबोर्ड मीट्रिक्स में बदला जा रहा है।
वहीं कॉन्गिजेंट का इस मामले को लेकर कहना है कि परफॉरमेंस के मूल्यांकन में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि प्रोडक्टिविटी मापने के लिए कंपनियां समय-समय पर अलग-अलग टूल्स का इस्तेमाल करती हैं और अब भी ऐसा ही किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह क्लाइंट्स के अनुरोध पर सिर्फ चुनिंदा प्रोजेक्ट्स में होता है।