Safeguard Duty on Steel: माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) की योजना स्टील के कुछ प्रोडक्ट्स पर प्रोविजनल सेफगार्ड ड्यूटी नहीं लगाने का आग्रह करने की है। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी के मुताबिक एमएसएमईज को डर है कि अगर यह ड्यूटी लगती है तो घरेलू मार्केट में कीमतें बढ़ सकती हैं। एक शख्स ने इसे लेकर कहा कि सरकार से आग्रह किया जाएगा कि सेफगार्ड ड्यूटी लगने पर कच्चे माल पर असर पड़ेगा और एमएसएमई एक्सपोर्टर्स पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इसे लेकर सरकार को पहले भी लिखा गया है और अब फिर लिखा जाएगा।
सरकार ने क्यों रखा है 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव?
कुछ महीनों की जांच के बाद कॉमर्स मिनिस्ट्री की जांच इकाई डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने 19 मार्च को स्टील के कुछ प्रोडक्ट्स पर 12 फीसदी की प्रोविजनल सेफगार्ड ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव के मुताबिक यह ड्यूटी 200 दिनों के लिए लगेगी। इस प्रस्ताव को आयात में उछाल से घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए लाया गया है। यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही लागू हो पाएगा।
बड़ी और छोटी कंपनियां क्यों हैं विपरीत छोर पर?
सूत्र के मुताबिक 12 फीसदी की प्रोविजनल सेफगार्ड ड्यूटी लगती है तो इसके चलते घरेलू मार्केट में स्टील की कीमतें 8-10 फीसदी बढ़ सकती है जिससे एमएसएमई एक्सपोर्टर्स को झटका लग सकता है क्योंकि उनके प्रोडक्शन कॉस्ट का 60 फीसदी हिस्सा इसी का है। एमएसएमई का मानना है कि टैरिफ वार के चलते घरेलू मार्केट में कीमतें पहले ही बढ़ गई हैं और अब सेफगार्ड ड्यूटी के चलते इसमें और तेजी आ जाएगी। अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर 12 मार्च से 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया है।
वहीं दूसरी तरफ बड़ी स्टील कंपनियां तो 25 फीसदी का सेफगार्ड ड्यूटी लगाने के पक्ष में हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि अमेरिकी टैरिफ के चलते चीन जैसे देशों में भारत में इसकी डंपिंग शुरू हो सकती है। टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी दिग्गज कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडियन स्टील एसोसिएशन (ISA) पिछले साल दिसंबर से ही स्टील पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की सिफारिश कर रही है।